लखनऊ की ऐतिहासिक इमारत छतर मंजिल की खुदाई में मिला सुरंगों का जाल

यूपी की राजधानी लखनऊ को नवाबी परंपरा का गढ़ माना जाता रहा है। यहां की ऐतिहासिक इमारत बड़ी छतर मंजिल की खुदाई के दौरान सुरंगों का जाल मिला है। जिसे लेकर इतिहासकारों में अवध के इतिहास को लेकर काफी उत्सुकता है। इसका निर्माण 1798 में नवाब सआदत अली खान ने कराया था। उन्‍होंने अपनी मां छतर कुंवर के नाम पर इसका नाम छतर मंजिल रखा था।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 22 May 2019, 7:04 PM IST

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग इलाके में स्थित छतर मंजिल की खुदाई के दौरान 3 बड़ी-बड़ी सुरंगें मिली है। खास बात यह है कि इन सुरंगों का अंतिम सिरा कहां जाकर खुलता है इसका पता अभी तक नहीं चला है।

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हालांकि इतिहासकारों का मानना है कि इन सुरंगों का अंतिम सिरा राजधानी लखनऊ के अलग-अलग हिस्सों और गोमती नदी में खुलते होंगे। इसके पीछे इतिहासकारों का तर्क है कि इमारत के भूतल में नमी और पानी की मौजूदगी के सबूत मिले हैं।

छतर मंजिल में लगा एतिहासिक पत्‍थर 

खुदाई में मिली थी 42 फुट लंबी नाव

वहीं कुछ दिन पहले खुदाई के दौरान एक  42 फुट लंबी नाव भी मिली थी। इससे यह माना जा रहा है कि भूतल में बनी सुरंगों के माध्यम से गोमती नदी तक नौ-परिवहन के लिए इसी नाव का इस्तेमाल किया जाता रहा होगा।

हालांकि बाद में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय अंग्रेजों ने देश की आजादी के लिए उनसे लोहा लेने वाले क्रांतिकारियों को फांसी देने के लिए भी इसी इमारत को चुना था।

पुरातत्‍व विभाग के ओर से की जा रही खुदाई

भूलभुलैया की तरह है सुरंगों का जाल

बड़ी छतर मंजिल को मरम्‍मत और अन्‍य पड़ताल के लिए 2013 में उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग को सौंपा गया था। हालांकि यहां पर पुरातत्‍व विभाग ने कार्य की शुरूआत 2017 में की थी। 

खुदाई में तहखाने जैसी एक और मंजिल मिली और साथ ही नौका चालन के प्रमाण भी पुरातत्व विभाग की टीम को मिले। वहीं जब निचले भूतल की खुदाई हुई तो उसमें नावों के रखने संबंधित प्रमाण मिले। अब फिलहाल पुरातत्‍व विभाग इन सुरंगों के अंतिम सिरों को खोजने में लगे हुए हैं। 

अवध की बेगम के लिए बनवाया गया था छतर मंजिल

मुख्य रूप से बड़ी छतर मंजिल का निर्माण अवध की बेगम के रहने के लिए कराया गया था। बाद में अवध अंतिम नबाव वाजिद अली शाह की बेगमें भी बड़ी छतर मंजिल में रहा करती थी।

पुरातत्व विभाग के निदेशक आनंद कुमार सिंह ने बताया की यह इमारत इतिहास के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इमारत की खुदाई के दौरान भूतल से नवाब की बेगमों के लिए इस्तेमाल में आने वाले स्‍नानागार और बैठक होने के भी प्रमाण मिले हैं। आने वाले समय में जैसे-जैसे खोजबीन बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे इतिहास की कुछ नए रहस्‍यों से पर्दा उठता जाएगा।

Published : 
  • 22 May 2019, 7:04 PM IST

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