महराजगंजः शिव योग के शुभ संयोग में बंसतोत्सव गुरुवार को मनेगा। बसंत पंचमी को खास बनाने को शहर व गांव में तैयारियां तेज हो गई है। मां सरस्वती की पूजा को लेकर सरकारी, गैर सरकारी संस्थानों व स्कूलों के बच्चे.बच्चियां उत्साहित हैं। हर घर में विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-आराधना की तैयारी है। आचार्य पंडित दयाशंकर शुक्ल के अनुसार सूर्य उत्तरायण में गतिशील हो चुका है। साथ ही ग्रहों की चाल भी बदल रही है। सहयोगी ग्रहों को और मजबूती के लिए मां सरस्वती की पूजा फलदाई होगी। इससे सफलता आप की कदम चूमेगी।
अबूझ मुहूर्त में शुरू होगा हर शुम कार्य
माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी अति शुभ समय है। बसंत पंचमी विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का दिन है। पंचमी के दिन को अबूझ शुभ मुहूर्त भी माना जाता है। मतलब यह कि आप कोई भी शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश, विवाह, मकान.दुकान की खरीदारी या मुहूर्त आदि कार्यों को बिना ज्योतिषीय परामर्श के बसंत पंचमी के दिन कर सकते हैं। मां सरस्वती की कृपा पाने के लिए इस दिन विशेष पूजा.अर्चना करनी चाहिए। लेखन, कला, शिक्षा, संगीत आदि जुड़े लोगों के लिए इस दिन का विशेष महत्व है।
मन को मुग्ध करता वसंत का उत्सव
वसंत ऋतु प्राकृतिक सौंदर्य में निखार, मादकता का संगम है। प्राचीनकाल से ही वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम रहा है। इस मौसम में फूलों पर बहार आ जाती है। खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है। गेहूं की बालियां खिलने लगती हैं। आम पर बौर आ जाते हैं। हर तरफ रंग.बिरंगी तितलियां उड़ने लगती हैं। इसी समय से प्रकृति के सौंदर्य का निखार दिखने लगता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनमें नए.नए गुलाबी रंग के पल्लव मन को मुग्ध करते हैं।
रसिकजनों का प्रिय है बसंत उत्सव
ऋतुओं का राजा वसंत रसिकजनों का भी प्रिय रहा है। समस्त काव्यों, नाटकों, कथाओं में कहीं न कहीं वसंत ऋतु और वसंतोत्सव का वर्णन मिलता है। वसंत पंचमी से लेकर रंग पंचमी तक का समय वसंत की मादकता, होली की मस्ती और फाग का संगीत से सभी के मन को मचलने का मौका देते हैं। जहां टेसू ;पलाश, और सेमल के लाल.लाल फूल, जिन्हें वसंत के श्रृंगार की उपमा दी गई है। सभी के मन में मादकता उत्पन्न करते हैं। वहीं होली की मस्ती और फाग का संगीत लोगों के मन को उमंग से भर देता है।