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Shardiya Navratri: नवरात्रि के दूसरे दिन इस तरह करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए पूजा विधि, मंत्र और भोग के बारे में

मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। वरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Shardiya Navratri: नवरात्रि के दूसरे दिन इस तरह करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए पूजा विधि, मंत्र और भोग के बारे में

नई दिल्ली: मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होती है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली।

डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये मां ब्रह्मचारिणी की कहानी, पूजन विधि, मंत्र उच्चारण और मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर बारे में।

मोक्ष, शांति और समृद्धि की प्राप्ति 

ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और इसी वजह से उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। इनकी साधना और उपासना से जीवन की हर समस्या और संकट दूर हो जाता है। ब्रह्मचारिणी की पूजा मुक्ति या मोक्ष और शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए की जाती है। नंगे पैर चलने और हाथों में जपमाला (माला) और कमंडल (बर्तन) पकड़े हुए, वह आनंद और शांति का प्रतीक है। 

मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा भगवान शिव के साथ की जाती है। देवी की प्रार्थना करके कोई भी अपने नैतिक आचरण में सुधार कर सकता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से व्यक्ति को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प भी प्राप्त हो सकता है। पूजा के दौरान देवी को फूल, चावल, चंदन, दूध, दही और शहद चढ़ाया जाता है।

पूजा में चढ़ाये ये चीजें

आज के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साथ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद कलश, के साथ मां दुर्गा और उनके स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। पूजा में फूल, माला, रोली, सिंदूर आदि चढ़ाएं। इसके साथ ही एक पान में एक सुपारी,  2 लौंग, 2 इलायची, बताशा और 1 रुपए का सिक्का रखकर चढ़ा दें। फिर भोग में मिठाई या फिर चीनी का भोग लगाएं। इसके बाद धूप जलाकर दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। अंत में विधिवत तरीके से आरती कर लें।

मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग और भोग   

पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहन कर पूजा करने से मां ब्रह्मचारिणी शीघ्र प्रसन्न होती हैं. हिंदू धर्म पर पीले रंग को शिक्षा और ज्ञान का रंग माना गया है. वहीं मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री काफी पसंद है तो आप आज के दिन चीनी और मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं.

मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:। दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा। या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

मां ब्रह्मचारिणी मंदिर
मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर काशी के सप्तसागर (कर्णघंटा) क्षेत्र में स्थित है। काशी के गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। श्रद्धालु लाइन में लगकर मां का दर्शन प्राप्त करते हैं।

श्रद्धालु मां के इस रूप का दर्शन करने के लिए नारियल, चुनरी, माला-फूल आदि लेकर श्रद्धा-भक्ति के साथ अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं।

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