Site icon Hindi Dynamite News

साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखक समरेश मजूमदार का निधन

साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता बंगाली साहित्यकार समरेश मजूमदार का कोलकाता के एक निजी अस्पताल में सोमवार शाम निधन हो गया। उन्हें 1970 के दशक के अशांत नक्सलवादी काल को चित्रित करने के लिए जाना जाता है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
Published:
साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखक समरेश मजूमदार का निधन

कोलकाता: साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता बंगाली साहित्यकार समरेश मजूमदार का कोलकाता के एक निजी अस्पताल में सोमवार शाम निधन हो गया। उन्हें 1970 के दशक के अशांत नक्सलवादी काल को चित्रित करने के लिए जाना जाता है।

मजूमदार 79 वर्ष के थे।

अस्पताल के एक अधिकारी ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया, “वह 12 वर्षों से भी ज्यादा समय से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित थे। हाल में उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। शाम करीब पौने छह बजे उन्होंने अंतिम श्वांस ली।”

अपनी ‘उत्तराधिकार’, ‘कालबेला’ और ‘कालपुरुष’ जैसी राजनीति पर आधारित बेहद चर्चित किताबों के अलावा उन्होंने लघु कथाएं और यात्रावृत्तांत भी लिखे।

उन्हें नक्सली आंदोलन की पृष्ठभूमि पर लिखी गई ‘कालबेला’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। मजूमदार का जासूसी चरित्र ‘अर्जुन’ भी काफी लोकप्रिय हुआ था।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि यह साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।

जाने-माने फिल्म निर्देशक गौतम घोष ने कहा कि मजूमदार ही वह व्यक्ति थे जो उत्तर बंगाल में 1970 के दशक के अशांत दौर को किताब के जरिये सामने लेकर आए।

मजूमदार ने अपना अधिकतर बचपन उत्तर बंगाल के चाय बागानों में बिताया था और इस अनुभव ने उनके लेखन में एक अमिट छाप छोड़ी। पश्चिम बंगाल में 1960 और 1970 के दशक में नक्सली आंदोलन की आहट राज्य के चाय बागानों में शुरू हुई थी।

Exit mobile version