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Rangbhari Ekadashi in Varanasi: महादेव संग विदा हुईं माता पार्वती, भव्य गौना बारात का हुआ आयोजन

धर्म नगरी काशी में सोमवार की सुबह भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में रंगभरी एकादशी पर माता पार्वती की भव्य गौना बारात निकाली गई। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Rangbhari Ekadashi in Varanasi: महादेव संग विदा हुईं माता पार्वती, भव्य गौना बारात का हुआ आयोजन

वाराणसी: धर्म नगरी काशी में रंगभरी एकादशी आज (10 मार्च) के पर्व पर परंपराओं का अनूठा संगम देखने को मिला, जब माता पार्वती ने महादेव के साथ रजत पालकी में सवार होकर विदाई ली। इस वर्ष, गौना बारात का आयोजन परंपरागत समय से पूर्व, सुबह 8:22 बजे किया गया, जो अपने पारंपरिक रास्तों से होते हुए विश्वनाथ धाम पहुंची। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवादाता के अनुसार, भारी पुलिस बल की मौजूदगी में गौना बारात महंत आवास से रवाना हुई, जो वर्षों से चली आ रही परम्परा का निर्वाह करती है। बारात अपने पारंपरिक मार्गों से होते हुए विश्वनाथ धाम की ओर बढ़ी। टेढ़ी नीम स्थित पूर्व महंत आवास पर माता पार्वती के गौना की रस्में सम्पन्न हुईं। रजत प्रतिमा को एक कपड़े से ढककर काफी सावधानी से मंदिर की ओर भेजा गया। 

शंकराचार्य चौक पर प्रतिमा की स्थापना की जाएगी, जहाँ पूजा-अर्चना के बाद वहां के स्थानीय निवासी बाबा की अनुमति लेकर होली का उल्लास मनाएंगे। बाबा विश्वनाथ के स्वागत के लिए महंत आवास (गौरा सदनिका) पर आयोजित भव्य स्वागत समारोह में पहले खिचड़ी, रंगभरी ठंडई और अन्य व्यंजनों से बाबा का स्वागत किया गया। 

महंत वाचस्पति तिवारी ने बताया कि महादेव ने मिथिलांचल से आए देव कीरीट धारण किया है। माता पार्वती के गौने की बारात में राजसी पगड़ी और मेवाड़ी परिधान पहने हुए महादेव और माता पार्वती सिंहासन पर विराजमान हुए। इस दौरान माता पार्वती गुलाबी बनारसी साड़ी में दर्शकों को दर्शन देंगी। 

गौना की रस्म के पहले वातावरण में बधाई गीतों की गूंज सुनने को मिली। महिलाओं ने मंगल गीत गाकर बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती का स्वागत किया। पूजा-अर्चना के बाद डमरु की गूंज और लोक नृत्य ने वातावरण को और भी भव्यता प्रदान की। कलाकारों द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक गीतों ने ससुराल की महक भर दी। 

इस बारात के आयोजन ने काशीवासियों को एक बार फिर से सांस्कृतिक धरोहर की याद दिलाई और साथ ही रंगभरी एकादशी के पर्व का अद्वितीय अनुभव प्रदान किया। यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि काशी के सांस्कृतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 

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