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हाइटेक हुआ सर्वोच्च न्यायालय, अब ऑनलाइन दायर होगी याचिका

सुप्रीम कोर्ट आज से पूरी तरह डिजिटल हो गया है। इस मौके पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मन बदले तभी बदलाव की शुरुआत होती है।
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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हाइटेक हुआ सर्वोच्च न्यायालय, अब ऑनलाइन दायर होगी याचिका

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के मुख्य न्यायाधीश की मौजूदगी में डिजिटल फाइलिंग सिस्टम का उद्घाटन किया। इस सेवा को शुरू करने के बाद सुप्रीम कोर्ट का काम काफी आसान हो जाएगा। अब वकील अपने कक्ष से ही ई फाइलिंग कर सकेंगे। अभी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए भारी बस्ते तैयार किए जाते हैं क्योंकि उसमें निचली अदालतों के फैसलों की प्रतियां भी होती है। लेकिन इस ऑनलाइन सुविधा के बाद कोर्ट ये प्रतियां संबंधित अदालतों की वेबसाइट से सीधे ले लेगा। वकील को सिर्फ अपनी अपील में फैसले को चुनौती देने के आधार और बिंदुओं को फाइल करना होगा।

इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि तकनीकी की ताकत बड़ी अद्भुत होती है लेकिन इसके लिए मन बनाना पड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कोर्ट में लंबित मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट में जज छुट्टियां कम करके काम कर रहे हैं और केसों का निपटारा कर रहे हैं इसके लिए सभी आभार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को डिजिटल बनाने की शुरुआत पर मुख्य न्यायाधीश और उनकी टीम को बधाई देता हूं।

प्रधानमंत्री के संबोधन की खास बातें

1. डिजिटल युग के बदलाव के साथ खुद को जोड़ना जरूरी है 

2. आज से इंटरनेट के जरिए अपील दायर होगी

3. समस्या टेक्नोलॉजी की नहीं, तकनीकी बदलाव के साथ खुद को जोड़ने की है

4. मन बदले तभी बदलाव की शुरुआत होती है

5. एक पेपर के निर्माण में 10 लीटर पानी खर्च होता है लेकिन अगर हम पेपरलेस हुए तो इससे पर्यावरण बचाने की दिशा में लाभ मिलेगा

6. पेपरलेस से बिजली भी बचेगी और पानी भी बचेगा

7. आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिलेगा

8. देश के रुपये बचेंगे तो गरीबों के घर बनाने में काम आएंगे

9. ई-गवर्नेंस आसान और असरदार है 

10. ई-गवर्नेंस को जीवन के हर क्षेत्र में अपनाने की जरूरत है 

इस अवसर पर मौजूद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि वो सभी 24 हाईकोर्ट और निचली अदालतों में एकीकृत प्रणाली शुरू करने का प्रस्ताव रखते है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी, हेरफेर कम होगा और वादी को वास्तविक समय में अपने मुकदमे की प्रगति के बारे में जानने में मदद मिलेगी।
 

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