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अलविदा मार्शल, अर्जन सिंह को राजकीय सम्मान के साथ आखिरी विदाई

पाकिस्तान को 1965 की जंग में घुटने टेकने को मजबूर कर देने वाले भारतीय वायु सेना के जांबाज मार्शल अर्जन सिंह को आखिरी विदाई दी गई। अर्जन सिंह औलख फील्ड मार्शल के बराबर फाइव स्टार रैंक हासिल करने वाले इंडियन एयर फोर्स के इकलौते ऑफिसर थे।
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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अलविदा मार्शल, अर्जन सिंह को राजकीय सम्मान के साथ आखिरी विदाई

नई दिल्ली: 1965 की जंग में पाकिस्तान को घुटने टेकने को मजबूर कर देने वाले भारतीय वायु सेना के जांबाज मार्शल अर्जन सिंह को सोमवार को आखिरी विदाई दी गई। राजधानी दिल्ली के बरार स्क्वेयर में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अर्जन सिंह का अंतिम संस्कार किया गया। मार्शल अर्जन के सम्मान में आज सभी सरकारी इमारतों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है।

 

बरार स्क्वेयर पहुंचकर दी गयी अंतिम विदायी

अर्जन सिंह को आखिरी विदाई और श्रद्धांजलि  देने के लिये पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी बरार स्क्वेयर पहुंचे। इसके अलावा कई अन्य गणमान्य लागों ने भी बरार स्क्वेयर पहुंचकर जांबाज मार्शल को अपनी अंतिम विदाई दी। रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके अंतिम दर्शन किए थे और श्रद्धांजलि अर्पित की थी। अर्जन सिंह का शनिवार को सेना के रिचर्स ऐंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया था।

मानेकशॉ के बाद फाइव स्टार रैंक वाले एकमात्र जीवित ऑफिसर

पद्म विभूषण से सम्मानित एयर फोर्स मार्शल अर्जन सिंह का जन्म पंजाब के लयालपुर (अब पाकिस्तान का फैसलाबाद) में 15 अप्रैल 1919 को हुआ। 19 साल की अवस्था में अर्जन सिंह ने रॉयल एयर फोर्स कॉलेज जॉइन किया। अर्जन सिंह औलख फील्ड मार्शल के बराबर फाइव स्टार रैंक हासिल करने वाले इंडियन एयर फोर्स के इकलौते ऑफिसर थे। इंडियन आर्मी में उनके अलावा बस 2 और ऑफिसर्स को फाइव स्टार रैंक मिली थी, जिनमें फील्ड मार्शल केएम करियप्पा और फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ शामिल थे। जून 2008 में सैम मानेकशॉ के निधन के बाद अर्जन सिंह भारतीय सेना के फाइव स्टार रैंक वाले एकमात्र जीवित ऑफिसर थे। 1950 में भारत के गणराज्य बनने के बाद अर्जन सिंह को ऑपरेशनल ग्रुप का कमांडर बनाया गया। यह ग्रुप भारत में सभी तरह के ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार होता है।

 

पाकिस्तान के भीतर घुसकर कई एयरफील्ड्स किये थे तबाह 

अर्जन सिंह 1 अगस्त 1964 से 15 जुलाई 1969 तक चीफ ऑफ एयर स्टाफ रहे। इसी दौरान 1965 की लड़ाई में अभूतपूर्व साहस के प्रदर्शन के चलते उन्हें वायु सेनाध्यक्ष के पद से पद्दोन्नत करके एयरचीफ मार्शल बनाया गया। उनके नेतृत्व में इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर कई एयरफील्ड्स तबाह कर डाले थे। एयर फोर्स प्रमुख के तौर पर लगातार 5 साल अपनी सेवाएं देने वाले अर्जन सिंह एकमात्र चीफ ऑफ एयर स्टाफ थे। 1971 में अर्जन सिंह को स्विटजरलैंड में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया। इसके अलावा उन्हें वेटिकन और केन्या में भी नियुक्त किया गया था।

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