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Mahakumbh Stampede: योगी क्यों नहीं बताते महाकुंभ भगदड़ का पूरा सच? क्यों नहीं करते मीडिया के सवालों को सामना?

प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान पर मची भगदड़ का पूरा सच क्या अभी तक सामने नहीं आया है? यह सवाल जोर-शोर से अब उछलने लगा है। आखिर क्या है हकीकत? पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Mahakumbh Stampede: योगी क्यों नहीं बताते महाकुंभ भगदड़ का पूरा सच? क्यों नहीं करते मीडिया के सवालों को सामना?

नई दिल्ली: महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान पर मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत और 60 लोगों के घायल होने की जानकारी प्रशासन ने घटना के 17 घंटे बाद दी। भगदड़ की घटना को तीन दिन पूरे होने वाले हैं। लेकिन अभी तक प्रशासन ने भगदड़ से जुड़े कई सवालों के जवाब नहीं दिये हैं, जिससे लोग अब भी सशंकित हैं।

सबसे बड़े सवाल ये है कि क्या भगदड़ का पूरा सच अभी तक सामने नहीं आया है? आखिर भगदड़ में कितने लोगों की मौत हुई? कितने लोग घायल हुए? कितने लोग लापता है? क्या महाकुंभ में भगदड़ एक बार ही मची? इसी तरह से घटना को लेकर भी कई सवाल उठाये जा रहे है।

तमाम मीडिया रिपोर्टों पर यदि यकीन किया जाये तो ये बात भी सामने आ रही है कि भगदड़ में मृतकों की संख्या सामने आये आंकड़े से अधिक हो सकती है। इसी तरह घायल लोगों की संख्या भी और अधिक हो सकती है। आखिर क्या है हकीकत? इसकी भी किसी को कोई जानकारी नहीं है।

राष्ट्रीय समाचार पत्र दैनिक भास्कर ने 31 जनवरी के अपने संस्करण में महाकुंभ भगदड़ को लेकर प्रशासन के दावों पर बड़े सवाल खड़े किये हैं। 

भास्कर की रिपोर्ट पर यदि यकीन किया जाये तो महाकुंभ में भगदड़ के बाद से 1500 लोग लापता है। इसके साथ ही पत्र ने लिखा है भगदड़ की घटना एक बार नहीं बल्कि दो बार हुई। रिपोर्ट के मुताबिक उसी रात संगम से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर दूसरी भगदड़ की घटना हुई। पत्र ने भगदड़ की दूसरी घटना के प्रत्यक्षदर्शी का बयान भी अपनी रिपोर्ट में प्रकाशित किया है।

पत्र ने ये भी साफ लिखा है कि हादसे के दो दिन बाद भी प्रशासन ने न तो घटना स्वीकारी और न ही मौतें। भास्कर के अलावा कुछ और भी मीडिया रिपोर्ट्स ऐसी हैं, जो प्रशासन के दावों पर सवाल खड़ी कर रही है।

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि प्रशासन इन मीडिया रिपोर्टों को संज्ञान लेकर क्यों नहीं सामने आकर स्थिति को स्पष्ट कर रहा है? ऐसे में ये सवाल लाजमी है कि क्या प्रशासन हादसे की असलियत समेत हताहतों की सही संख्या को छुपाने की कोशिश कर रहा है?

डाइनामाइट न्यूज़ भी प्रशासन से अपील करता है कि वो इस संवेदनशील मुद्दे पर सामने आये और हर शंका-आशंका व मीडिया रिपोर्टों पर अपनी स्थिति साफ करे।

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