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Mahakumbh Stampede: योगी ने क्यों नहीं मानी संतों की बात? क्यों नहीं सौंपा आर्मी को जिम्मा?

प्रयागराज में महाकुंभ में मंगलवार की आधीरात भीड़ का दबाव इतना बढ़ा कि भगदड़ मच गयी जिसको लेकर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Mahakumbh Stampede: योगी ने क्यों नहीं मानी संतों की बात? क्यों नहीं सौंपा आर्मी को जिम्मा?

प्रयागराज: महाकुंभ में हुई भगदड़ ने योगी सरकार और पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवालियां निशान खड़े कर दिये हैं। कुंभ मे मची भगदड़ के बाद सरकार के तमाम इंतजामों की पोल खोल कर रख दी हैं। 

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी अचानक रो पड़े। उन्होंने कहा-' हमने पहले ही कहा था कुंभ की सुरक्षा को आर्मी के हवाले किया जाए लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी। प्रशासनिक व्यवस्था से कुंभ कलंकित हो गया। इतनी जनता आने के बाद ये पुलिस के संभालने का काम नहीं हैं। इसी का परिणाम है कि किसी बाप का बेटा चला गया, किसी का कोई। बहुत दुखद समाचार है ,मेरा मन बहुत व्यथित है। मैं अखाड़े में अपने साथियों से कहकर आया कि आपलोग यहां से ये अनाउंस मत कीजिए कि ये सब हो गया है। आप धीरे-धीरे अपने भक्तों से अपने कैंपों में लौटने के लिए कहिए। क्योंकि इससे वहां भी भगदड़ मचने की आशंका है।' उन्होंने आगे कहा- 'अगर कुंभ सेना के हवाले किया जाता तो मुझे नहीं लगता कि इतना बड़ा हादसा होता। मुझे बहुत दुख है, बहुत ज्यादा दुख है।'

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय सेना बुलाने की मांग कर दी है। यही नहीं उन्होंने कहा है कि जो लोग विश्वस्तरीय व्यवस्था का दावा कर रहे थे, उन्हें हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना पद छोड़ देना चाहिए।

अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट में कहा है, "महाकुंभ में आए संत समाज और श्रद्धालुओं में व्यवस्था के प्रति पुनर्विश्वास जगाने के लिए ये आवश्यक है कि उप्र शासन-प्रशासन के स्थान पर महाकुंभ का प्रशासन और प्रबंधन तत्काल सेना को सौंप देना चाहिए। ‘विश्वस्तरीय व्यवस्था’ करने के प्रचार करते हुए दावों की सच्चाई अब जब सबके सामने आ गयी है, तो जो लोग इसका दावा और मिथ्या प्रचार कर रहे थे, उन्हें इस हादसे में हताहत हुए लोगों की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए अपना पद त्याग देना चाहिए।"

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि जब सरकार को पहले से मालूम था कि इतनी बड़ी संख्या में लोग आयेंगे तो क्यों नही महाकुंभ का जिम्मा आर्मी को सौंपा गया। नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री योगी की जिद और वीआईपी कल्चर इतनी जिंदगियों पर भारी पड़ गया। 

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