लखीमपुर: सांप्रदायिकता की चपेट में आया उत्तर प्रदेश का एक शांत शहर

उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले लखीमपुर-खीरी के मुख्यालय पर हिंदू बहुल इलाके में सलीम सिद्दीकी (65) मोटरसाइकिल की मरम्मत का कार्य करते हैं। सलीम का मानना है कि एक महीने पहले हुए सांप्रदायिक विवाद से ऐसा लगता है मानों शहर की मासूमियत कहीं खो गई है।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 14 April 2017, 10:44 AM IST
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लखीमपुर:  उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले लखीमपुर-खीरी के मुख्यालय पर हिंदू बहुल इलाके में सलीम सिद्दीकी (65) मोटरसाइकिल की मरम्मत का कार्य करते हैं। सलीम का मानना है कि एक महीने पहले हुए सांप्रदायिक विवाद से ऐसा लगता है मानों शहर की मासूमियत कहीं खो गई है। यह सांप्रदायिक विवाद आसपास के इलाकों में भी फैल गया था। 

अब जब हालात सामान्य हो रहे हैं तो राज्य सरकार के साथ शहर भी बदलता सा दिख रहा है। सांप्रदायिक विभाजन साफ तौर पर दिख रहा है।

सिद्दीकी ने कहा, "बहुत कुछ बदल गया है..इस नजरिये से अपने शहर को कभी नहीं देखा था। दोनों समुदायों के लोग साथ बैठकर बातचीत करते और चाय पीते थे, लेकिन कहीं न कहीं उस घटना की वजह से कटुता पैदा हो गई है।"

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजों के घोषित होने से नौ दिन पहले दो मार्च को दो युवकों द्वारा हिंदू देवी-देवताओं के आपत्तिजनक वीडियो बनाने और प्रसारित किए जाने के मामले ने शहर को सांप्रदायिक तनाव की गिरफ्त में ले लिया।

इसे लेकर एक सप्ताह से ज्यादा समय तक कई घटनाएं हुईं। बाजार बंद रहे। इसी की आड़ में निजी विवाद को गुंडागीरी के बल पर सुलझाया गया, बड़ी संख्या में लोगों की गिरफ्तारियां हुईं, गोलीबारी में दो हिंदू पुरुष घायल हो गए और अगले कुछ दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा।

बुजुर्ग लोगों का कहना है कि उन्हें याद नहीं कि पिछली बार शहर में कर्फ्यू कब लगा था।

कई स्थानीय गुंडों के साथ-साथ दोनों युवकों को गिरफ्तार किया गया और शहर के एक कारोबारी को कथित तौर पर भीड़ पर गोली चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया। भीड़ ने व्यापारी को दुकान बंद करने के लिए बाध्य किया था।

सिद्दीकी ने कहा, "मुस्लिम कुल मिलाकर इस तरह का वीडियो बनाए जाने से बहुत परेशान हुए।"

कई लोगों का मानना है कि यह अपमानजनक वीडियो झगड़े का सिर्फ ऊपरी पहलू है। इसकी मूल वजह दो साल पहले हुई घटना है, जिसमें एक नाबालिग लड़की एक मुस्लिम व्यक्ति के साथ फरार हो गई थी। इसके अलावा करीब चार सालों से शहर के दोनों समुदाय मुस्लिमों के ईद मिलाद उन नबी और हिंदुओं की शिवरात्रि और राम बारात के जुलूसों में ताकत का प्रदर्शन होता रहा है।

एक सेवानिवृत्त बैंककर्मी एफ.एच. खान ने कहा, "धार्मिक जुलूस के दौरान ताकत का प्रदर्शन चिंता का विषय है, मुस्लिम बराहवफात पर जुलूस निकालते हैं जो हर साल बड़ा ही होता जा रहा। इसकी प्रतिक्रिया के तौर पर बीते साल शिवरात्रि का जुलूस भी भव्य रहा। लोग इसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखते हैं।"

खान ने कहा कि वीडियो बनाने वाले दोनों लड़के 12वीं के छात्र थे। अपने कुछ सहपाठियों से झगड़े में चिढ़कर उन्होंने वह वीडियो बनाकर जारी कर दिया था। वे बेवकूफ हैं..उन्हें पता ही नहीं था कि वे क्या कर रहे हैं। उनका करियर तबाह हो गया। उनके अभिभावक हिरासत में लिए गए।

इस बीच अधिकारियों ने मंगलवार को हनुमान जयंती जुलूस के शांतिपूर्वक गुजरने पर राहत की सांस ली। इसमें करीब 100,000 श्रद्धालुओं ने भाग लिया। 

शहर के व्यापारी अक्षय गुप्ता ने कहा कि हर धार्मिक जुलूस बड़ा ही होता जा रहा है। एक समय में जो बात दोस्ती मानी जाती थी, आज संदेह की निगाह से देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर समाजवादी पार्टी सत्ता में लौटती तो शहर में बड़े दंगे की पूरी आशंका थी।

लेकिन, सभी ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। सामाजिक कार्यकर्ता मोहन वाजपेयी ने कहा कि निश्चित ही राजनीतिक कारणों से वैमनस्य है और जुलूसों में शक्ति प्रदर्शन से यह बढ़ता है, लेकिन उम्मीद है कि हालात बदलेंगे और लोग पहले की तरह साथ होंगे।  (आईएएनएस)

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