Site icon Hindi Dynamite News

हरतालिका तीज का महत्व, कथा एवं पूजा विधि

हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। पति की लंबी उम्र और अच्छे वर की चाहत रखने वाली महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखती है।
Post Published By: डीएन ब्यूरो
Published:
हरतालिका तीज का महत्व, कथा एवं पूजा विधि

नई दिल्ली: आज पूरे देश भर में हरतालिका तीज बड़े ही धूम धाम से मनाया जा रहा है। यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। पति की लंबी उम्र और अच्छे वर की चाहत रखने वाली महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखती है।

इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी जरूर लगाती हैं। तीज पर हाथों में मेहंदी लगाना महिलाएं काफी शुभ मानती हैं। ऐसा कहा जाता है कि मां पार्वती ने इस व्रत को शिवजी को पति रूप में पाने के लिए किया था। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। देश के कई हिस्सो में यह व्रत निर्जल व निरहार रखा जाता है।

हरतालिका तीज पर महिलाओं को 16 श्रृंगार करना चाहिए। इससे घर में सुख और समृद्ध‍ि आ‍ती है और अखंड सौभाग्य का वरदान भी मिलता है। यही वजह है कि भारतीय संस्कृति में सोलह शृंगार को जीवन का अहम और अभिन्न अंग माना गया है।

क्यों मनाया जाता है हरतालिका तीज

ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को सबसे माता पार्वती ने किया था, इस व्रत को करने का बाद ही भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए। इच्छित वर प्राप्ति के लिए पार्वती जी ने तपस्या की। पार्वती माता ने कंदराओं के भीतर शिवजी की रेत की मूर्ति बनाकर उनका पूजन किया। उस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया थी। माता ने निर्जल, निराहर व्रत करते हुए दिन-रात शिव नाम मंत्र का जाप किया। पार्वती की सच्ची भक्ति एवं संकल्प की दृढ़ता से प्रसन्न होकर सदाशिव प्रकट हो गए और उन्होंने उमा को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। तभी से इस व्रत को हिन्दु धर्म की अधिकतर महिलाएं सौभाग्य प्राप्ति के लिए करती हैं।

Exit mobile version