Morbi Bridge Tragedy: मोरबी ब्रिज हादसे में एक्शन, पुलिस ने 9 लोगों को किया गिरफ्तार, जानिये अब तक की कार्रवाई

गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बना केबिल ब्रिज हादसे में शासन ने तेज एक्शन शुरू कर दिया है। हादसे के अगले दिन सोमवार को पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 31 October 2022, 6:04 PM IST

मोरबी: गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बना केबिल ब्रिज हादसे में सरकार के निर्देशों पर पुलिस तेज एक्शन में जुट गई है। दोषियों की धरपकड़ जारी है। पुलिस ने इस हादसे के अगले दिन सोमवार शाम को 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किये गये लोग ब्रिज का रखरखाव करने वाली कंपनी से जुड़े हुए बताये जा रहे हैं। कुछ लोगों से मामले में पूछताछ जारी है। इस हादसे में अब तक 141 लोगों की मौत हो चुकी है।

पीएम मोदी कल दोपहर मोरबी जाएंगे और घटनास्थल का जायजा लेंगे। माना जा रहा है कि पीएम मोदी इस मौके पर पीड़ितों और घायलों से भी मिलकर उनका हालचाल ले सकते हैं।

हादसे के बाद अब तक पुल से जुड़े कई खुलासे हो चुके हैं। ब्रिज निर्माता कंपनी पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। बताया जाता है कि  फिटनेस सर्टिफिकेट लिए बिना ही ब्रिज को शुरू कर दिया गया था। मोरबी हादसे को लेकर रखरखाव करने वाली एजेंसी के खिलाफ 304, 308 और 114 के तहत क्रिमिनल केस दर्ज किया गया है।

मोरबी ब्रिज हादसे के बाद सरकार ने नया फैसला लेते हुए घोषणा की है कि अब अहमदाबाद के अटल ब्रिज पर एक बार में सिर्फ 3 हजार लोग ही जा सकेंगे।

लापरवाही के इस पुल ने कई बच्चों के सर से जहां मां-बाप का साया छीन लिया है, वहीं कई मांओं की गोद भी उजड़ चुकी है। मां-पिता अपने बच्चों को खो चुके हैं।मोरबी हादसे में मारे गये लोगों में से 43 नाबालिग हैं। मृतकों में अधिकतर बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। 

बताया जाता है कि इस पुल की क्षमता एक बार में केवल 100 लोगों की थी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों 500 से अधिक टिकट एक समय पर दिये गये। क्यों इतनी बड़ी संख्या में लोगों को इस ब्रिज पर जाने की इजाजत दी गई। 

बता दें कि यह केबल ब्रिज 100 साल से ज्यादा पुराना बताया जा रहा है। यह ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था। राजा-महाराजाओं के समय का यह पुल ऋषिकेश के राम-झूला और लक्ष्मण झूला पुल कि तरह झूलता हुआ सा नजर आता था, इसलिए इसे झूलता पुल भी कहते थे।

Published : 
  • 31 October 2022, 6:04 PM IST

No related posts found.