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Delhi Riots 2020: दिल्ली की पूर्व पार्षद इशरत जहां सहित 12 अन्य के खिलाफ हत्या के प्रयास के आरोप तय

दिल्ली की एक अदालत ने 2020 में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगे मामले में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, ‘यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट’ के संस्थापक खालिद सैफी और 11 अन्य के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Delhi Riots 2020: दिल्ली की पूर्व पार्षद इशरत जहां सहित 12 अन्य के खिलाफ हत्या के प्रयास के आरोप तय

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 2020 में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगे मामले में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, ‘यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट’ के संस्थापक खालिद सैफी और 11 अन्य के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है।

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इन आरोपों में हत्या का प्रयास और गैरकानूनी रूप से एकत्रित होने से संबंधित आरोप भी शामिल हैं।

अदालत ने हालांकि, सभी 13 लोगों को आपराधिक साजिश, उकसावे और साझा मंशा के अपराध और शस्त्र अधिनियम के आरोपों से मुक्त कर दिया है।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार विशेष न्यायाधीश अमिताभ राव ने शुक्रवार को दिए आदेश में कहा, ‘‘..यह मानने का आधार है कि आरोपी व्यक्तियों ने भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा), 148 (दंगा, जानलेवा हथियार से लैस), 186 (सरकारी सेवा के काम में बाधा डालना), 188 (सरकारी सेवा के आदेश की अवज्ञा), 332 (सरकारी सेवक को जानबूझकर नुकसान पहुंचाना) और धारा 353 (सरकारी सेवा को उसके कर्तव्य पालन से रोकने के लिए उस पर हमला करना या आपराधिक बल प्रयोग) के तहत अपराध किया।’’

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि आरोपी भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 149 (गैरकानूनी रूप से एकत्रित होना) के तहत अपराध के लिए मुकदमे का सामना करने के लिए उत्तरदायी हैं।

अदालत ने कहा, ‘‘सभी आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 34 (साझा मंशा), 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 109 (उकसावे) के अपराध से मुक्त किया जाता है।’’

उसने कहा कि आरोपियों को शस्त्र कानून के प्रावधानों के तहत अपराधों से भी मुक्त किया जाता है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना उत्तरपूर्वी दिल्ली के खुरेजी खास इलाके में मस्जिद वाली गली में हुई।

अदालत ने कहा कि आरोप तय किए जाने के चरण पर केवल ‘‘प्रथम दृष्टया’’ मामले पर विचार किया जाता है और यह मुकदमे के बाद पता चलेगा कि क्या आरोपियों के खिलाफ मामला संदेह से परे है।

अदालत ने कहा, ‘‘प्रत्यक्षदर्शी और पीड़ित एचसी योगराज (इलाके के बीट कांस्टेबल) ने घटना के तुरंत बाद प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए दिए बयान में खासतौर से सभी 13 आरोपियों का नाम दर्ज कराया था।’’

उसने कहा कि पुलिस अधिकारी ने सभी आरोपयों की ‘‘स्पष्ट रूप से पहचान’’ की थी जो हथियारों से लैस होकर गैरकानूनी रूप से एकत्रित हुए और ‘‘इशरत जहां तथा खालिद सैफी के उकसाने पर’’ पुलिस पर पथराव किया जबकि भीड़ में शामिल एक नाबालिग ने हेड कांस्टेबल पर गोली चलायी थी।

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