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Marry Crismistmas: महराजगंज के स्कूल में क्रिसमस पर खास कार्यक्रम, सांता क्लॉज़ ने दिये ये उपहार

यूपी में महराजगंज जनपद के स्कूल में क्रिसमस पर खास कार्यक्रम का आयोजन हुआ। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की ये रिपोर्ट।
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Marry Crismistmas: महराजगंज के स्कूल में क्रिसमस पर खास कार्यक्रम, सांता क्लॉज़ ने दिये ये उपहार

कोल्हुई (महराजगंज): 25 दिसंबर को यीशु यानी जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल देश-दुनिया में इस दिन को क्रिसमस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। इस मौके पर कोल्हुई के मदर मरियम ग्लोबल स्कूल में क्रिसमस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में स्कूल के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस दौरान सांता क्लॉज की वेषभूषा में एक टीचर ने स्कूल के बच्चों के बीच जाकर गिफ्ट बांटे और उन्हें मनोरंजित किया। कार्यक्रम में प्रबंधक ई. समीर अधमी, प्रधानाचार्य हर्षलता शर्मा समेत स्कूल के टीचर स्टाफ मौजूद रहे। 

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक स्कूल के टीचर अमित विश्वकर्मा ने कहा कि बच्चों को एक मेसैज देने के लिए मुझे सैन्टा बनाया गया है। भाईचारे की भावना को बढ़ाने के लिए क्रिसमस मनाया जाता है।

स्कूल के मैनेजर ई. समीर अधमीएक ने बताया कि क्रिसमस एक ऐसा मौका है जब हम अपने आस-पास प्यार और ईमानदारी का संदेश दे सकते हैं। अपने पास जो संसाधन हैं हम उसे गरीबों के साथ बांट सकते हैं। साथ ही नये साल पर अपने लिये निश्चय करते हैं कि कैसे अपने आप को बेहतर बनायेंगे।

कार्यक्रम में स्कूल की डॉयरेक्टर डॉ. मीना अधमी ने सैंटा क्लॉज के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह लोगों की काफी सहायता करते थे और बच्चों को तोहफे दिया करते थे। उन्हें एक महान और दयालु व्यक्ति माना जाता है। वह एक खुशमिजाज व्यक्ति थे जिनकी सफेद दाढ़ी है और हृदय में दया और करुणा का भाव भरा हुआ है।

जानिए कौन थे सैंटा क्लॉज
क्रिसमस का पर्व यीशु मसीह के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। फिर भी इस दिन को सांता क्लॉज के नाम से क्यों जाना जाता है? वास्तव में, सांता का वास्तविक नाम संत निकोलस है और यह कथा 280 ईस्वी में तुर्की से शुरू होती है। सैंटा उत्तरी ध्रुव पर अपनी पत्नी मिसेज क्लॉज के साथ निवास करते थे। वह एक खुशमिजाज व्यक्ति थे, जिनकी सफेद दाढ़ी है। उनके हृदय में दया और करुणा का भाव भरा हुआ है। संत निकोलस जरूरतमंदों और बीमारों की सहायता के लिए यात्रा किया करते थे।

 

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