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Chhattisgarh: बस्तर की पहचान अब नक्सलगढ़ नहीं बल्कि ‘विकासगढ़’ के रूप में

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने कहा है कि लगातार हो रहे विकास के कारण बस्तर अब नक्सलगढ़ नहीं बल्कि 'विकासगढ़' के रूप में नई पहचान पा रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Chhattisgarh: बस्तर की पहचान अब नक्सलगढ़ नहीं बल्कि ‘विकासगढ़’ के रूप में

रायपुर: छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने कहा है कि लगातार हो रहे विकास के कारण बस्तर अब नक्सलगढ़ नहीं बल्कि 'विकासगढ़' के रूप में नई पहचान पा रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार छत्तीसगढ़ की पांचवीं विधानसभा के सोलहवें सत्र (बजट सत्र) के पहले दिन अपने अभिभाषण में राज्यपाल ने कहा कि राज्य में किसानों के विकास और कृषि संबंधी गतिविधियों पर ध्यान देने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था समृद्ध हुई है।

​हरिचंदन ने कहा, ''पेसा कानून का लाभ आदिवासी समाज को न मिल पाना एक विडम्बना थी, जिसका समाधान करते हुए प्रदेश में पेसा कानून के लिए नियम बनाए गए। मेरी सरकार ने न्याय की अवधारणा को व्यापक विस्तार देते हुए जेल में बंद व अनावश्यक मुकदमेबाजी में उलझे आदिवासियों की रिहाई सुनिश्चित की।''

उन्होंने कहा, ''उनके आर्थिक, सामाजिक सशक्तिकरण के लिए उठाए गए कदमों से विश्वास का वातावरण बना, जिसके कारण दुर्गम अंचलों में भी सड़क निर्माण, बिजली प्रदाय, स्वास्थ्य, शिक्षा, राशन, पानी, पोषण, रोजगार, 'बस्तर फाइटर्स' बल में भर्ती जैसे अनेक उपाय किए जा सके हैं।''

राज्यपाल ने कहा, ''13 वर्षों से बंद तीन सौ स्कूलों का जीर्णोद्धार और पुनः संचालन संभव हुआ। यही वजह है कि बस्तर अब नक्सलगढ़ नहीं बल्कि 'विकासगढ़ के रूप में नई पहचान पा रहा है। इस तरह नक्सलवादी तत्वों को कमजोर करते हुए लोगों की अपने गांवों में वापसी सुनिश्चित की गई।''

राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में कहा, ''मेरी सरकार ने राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल को अपराधियों के लिए कठोर और आम नागरिकों के लिए संवेदनशील बनाया।''

उन्होंने कहा, ''चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से बहुत आगे है। विगत चार वर्षों में 460 प्रकरण पंजीबद्ध कर 655 से अधिक संचालकों और उनके पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया। 43 हजार 945 निवेशकों को लगभग 32 करोड़ रुपए की राशि लौटाई गई है।''

हरिचंदन ने कहा, ''ऑनलाइन जुआ की रोकथाम के लिए 'छत्तीसगढ़ जुआ प्रतिषेध विधेयक-2022' पारित किया गया है।''

राज्यपाल ने कहा, ''मेरी सरकार ने हर आपदा को सेवा के अवसर के रूप में देखा है। यही वजह है कि कोरोना काल हो, बाढ़ या अन्य प्राकृतिक प्रकोप हो, दुर्घटना हो या वन्यप्राणियों से लोगों को हुई क्षति हो, ऐसे हर अवसर पर प्रभावितों को सहानुभूतिपूर्वक समुचित मदद की गई है। इतना ही नहीं, युद्ध के कारण यूक्रेन में फंसे राज्य के 183 नागरिकों की सुरक्षित घर वापसी के लिए निकटतम एयरपोर्ट तक हवाई यात्रा व्यय की प्रतिपूर्ति भी राज्य शासन द्वारा की गई है।''

उन्होंने कहा कि किसान, खेती, ग्रामीण विकास और इससे जुड़े विभिन्न क्षेत्रों का समन्वित और सर्वांगीण विकास मेरी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता रही है। इस दिशा में प्रचलित परिपाटियों में सुधार के साथ अनेक नए उपाय भी किए गए, जिसके कारण छत्तीसगढ़ के किसान व ग्रामीण परिवार तेजी से समृद्ध और खुशहाल हुए हैं।

राज्यपाल के अभिभाषण के बीच भाजपा के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने राज्यपाल की शक्तियों को चुनौती देते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

उन्होंने कहा कि ​यदि सरकार को राज्यपाल पर भरोसा नहीं है तो यह कैसी संवैधानिक परंपरा है कि उनका (राज्यपाल का) अभिभाषण कैबिनेट से पारित करा लिया जाए और सदन में पढ़ाया जाए।

इधर व्यवधान के बीच राज्यपाल ने अपना अभिभाषण जारी रखा।

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