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दुनिया में नास्तिकता बनी नई चुनौती, सबसे तेजी से बढ़ रही मुस्लिम आबादी, वर्ल्ड पॉपुलेशन डे पर पढ़ें ये खास खबर

वर्ल्ड पॉपुलेशन डे पर सामने आए आंकड़े यह दर्शाते हैं कि दुनिया में सबसे तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, जबकि ईसाई धर्म की संख्या घट रही है। नास्तिकता का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है। आज 190 करोड़ से ज्यादा लोग खुद को किसी धर्म से नहीं जोड़ते।
Post Published By: Asmita Patel
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दुनिया में नास्तिकता बनी नई चुनौती, सबसे तेजी से बढ़ रही मुस्लिम आबादी, वर्ल्ड पॉपुलेशन डे पर पढ़ें ये खास खबर

New Delhi: वर्ल्ड पॉपुलेशन डे पर एक चौंकाने वालें तथ्य सामने आया है। दुनिया में हर मिनट 264 बच्चों का जन्म हो रहा है। जिनमें सबसे अधिक जन्म मुस्लिम समुदाय में हो रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है, जबकि हिंदू आबादी में हल्की गिरावट देखी गई है।

ईसाई आबादी अब भी सबसे ज्यादा

Pew रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में ईसाई समुदाय दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक जनसंख्या है, लेकिन 2010 से 2020 के बीच इनकी संख्या में गिरावट आई है। खासतौर पर यूरोपीय देशों में ईसाइयत से मोहभंग तेजी से बढ़ा है, जिसके चलते इस समुदाय की वैश्विक हिस्सेदारी कम हो रही है।

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तेजी से बढ़ रही नास्तिक आबादी

सांख्यिकीय दृष्टि से देखा जाए तो मुस्लिमों के बाद सबसे तेज बढ़ने वाला वर्ग ‘नास्तिक’ है। 2020 में करीब 190 करोड़ लोग खुद को नास्तिक बता रहे हैं, जबकि 2010 में यह संख्या 160 करोड़ थी। सिर्फ 10 साल में 30 करोड़ लोगों ने धर्म से दूरी बना ली है।

आखिर क्यों बढ़ रहे हैं नास्तिक?

नास्तिकों की बढ़ती संख्या के पीछे प्रमुख कारण धार्मिक संस्थानों से विश्वास उठना और वैज्ञानिक सोच को माना जा रहा है। Pew की रिपोर्ट बताती है कि सबसे ज्यादा लोग ईसाई धर्म छोड़कर नास्तिक बन रहे हैं। कई लोग धार्मिक संस्थानों में हो रहे भ्रष्टाचार और पाखंड से निराश होकर धर्म से दूरी बना रहे हैं।

यूके और फ्रांस में 40% से ज्यादा आबादी नास्तिक

अगर देशों के अनुसार देखा जाए तो दुनिया के 89% नास्तिक सिर्फ 10 देशों में रहते हैं। इनमें चीन, यूके, फ्रांस, जर्मनी, जापान, और ऑस्ट्रेलिया प्रमुख हैं। खास बात यह है कि चीन में दुनिया के 67% नास्तिक रहते हैं, जिसका मुख्य कारण वहां की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा धर्म पर प्रतिबंधात्मक नीति है।

भारत में नास्तिकों की संख्या

भारत में Pew के मुताबिक नास्तिकों की संख्या 2020 में करीब 50 हजार थी। हालांकि 2010 में यह आंकड़ा सिर्फ 30 हजार था, यानी 10 साल में 67% की वृद्धि हुई। यह संख्या कम लग सकती है, लेकिन बढ़ते ट्रेंड का संकेत देती है। सर्वे के मुताबिक, 33% बौद्ध अनुयायियों ने कहा कि वे किसी भगवान में विश्वास नहीं करते।

सबसे ज्यादा लोग ईसाई धर्म छोड़कर बने नास्तिक

ग्लोबल स्तर पर सबसे ज्यादा धर्म-त्याग की घटनाएं ईसाई धर्म में देखने को मिली हैं। हालांकि इसका सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन यूरोपीय देशों में यह प्रवृत्ति साफ दिख रही है।

89% नास्तिक सिर्फ 10 देशों में

नास्तिकों की सबसे अधिक संख्या कुछ गिने-चुने देशों में केंद्रित है। इनमें चीन, यूके, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका और जापान जैसे देश प्रमुख हैं।

धर्म और जनसंख्या का वैश्विक समीकरण

दुनिया में जब संघर्षों की जड़ में धर्म की भूमिका बढ़ती जा रही है, तब यह समझना जरूरी हो गया है कि धार्मिक आबादी का यह बदलाव सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित करेगा। मुस्लिमों की तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या और नास्तिकता का उभरता चलन आने वाले दशकों में विश्व राजनीति, नीति निर्माण और सामाजिक ताने-बाने पर सीधा असर डाल सकता है।

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