राजधानी दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण लगातार गंभीर होता जा रहा है। पिछले करीब दो महीनों से एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खराब से बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है। शुक्रवार (19 दिसंबर) को दिल्ली के कई इलाकों में AQI 400 के पार दर्ज किया गया, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक माना जाता है।

डॉक्टर और स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार लोगों को सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि प्रदूषित हवा का असर सिर्फ सांस की बीमारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। (Img- Internet)
मेडिकल रिपोर्ट्स और अध्ययनों के मुताबिक, लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़े, हृदय, दिमाग और इम्यून सिस्टम तक प्रभावित हो सकता है। बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पहले से बीमार लोगों पर इसका खतरा सबसे पहले और सबसे ज्यादा होता है। (Img- Internet)
दिल्ली जैसे अत्यधिक प्रदूषित शहरों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। हालिया अध्ययन बताता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों के फेफड़ों में प्रदूषक तत्वों का जमाव अधिक हो रहा है। (Img- Internet)
लेकिन हालिया एक अध्ययन में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है दिल्ली में वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर पुरुषों की सेहत पर देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, हवा में मौजूद सूक्ष्म कण, खासकर पीएम 2.5 और पीएम 10, सांस के जरिए सीधे फेफड़ों में पहुंच जाते हैं और वहां जमा होकर गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। (Img- Internet)
यह अध्ययन दिल्ली की नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (NSUT) के शोधकर्ताओं ने नोएडा स्थित एक एनवायरनमेंटल कंसल्टेंसी टीम के साथ मिलकर किया। ‘रेस्पिरेटरी डिपोजिशन ऑफ पार्टिकुलेट मैटर इन दिल्ली’ नाम के इस शोध पत्र में 2019 से 2023 के बीच दिल्ली के 39 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों के डेटा का विश्लेषण किया गया। (Img- Internet)
शोध में पाया गया कि बैठे रहने की स्थिति में पुरुषों के फेफड़ों में महिलाओं की तुलना में पीएम 2.5 का जमाव करीब 1.4 गुना और पीएम 10 का जमाव लगभग 1.34 गुना अधिक था। वहीं, चलते समय भी पुरुष अधिक मात्रा में प्रदूषक तत्व सांस के जरिए अंदर लेते हैं। (Img- Internet)
विशेषज्ञों का मानना है कि यह अंतर पुरुषों में अधिक सांस लेने की दर और ज्यादा एयरफ्लो की वजह से होता है, जिससे अधिक प्रदूषित हवा फेफड़ों तक पहुंचती है। इसके अलावा, बाहरी गतिविधियों और लंबे समय तक खुले वातावरण में रहने के कारण भी पुरुषों का एक्सपोजर ज्यादा होता है। (Img- Internet)