Chhattisgarh/Maharashtra: छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही मुहिम को बड़ी सफलता मिली है। कांकेर जिले में करीब 100 नक्सलियों ने BSF कैंप में सरेंडर कर दिया। इनमें कई टॉप कमांडर और हार्डकोर माओवादी शामिल हैं। इस घटना ने क्षेत्र में सक्रिय माओवादियों के मनोबल को गहरा झटका दिया है।
बड़ी नक्सली घटनाओं का मास्टरमाइंड राजू सलाम
सरेंडर करने वालों में राजू सलाम, प्रसाद और मीना जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इनमें से राजू सलाम डिवीजनल कमेटी मेंबर (DVCM) और कंपनी नंबर 5 का कमांडर था। वह पिछले 20 वर्षों में कांकेर जिले में हुई लगभग सभी बड़ी नक्सली घटनाओं का मास्टरमाइंड रहा है।
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BSF कैंप में हाई अलर्ट, हथियार भी जमा किए गए
सुरक्षा कारणों के चलते सरेंडर की कार्रवाई कामतेड़ा BSF कैंप में की गई, जहां सभी नक्सलियों को बस से लाया गया। सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया। इसके बाद BSF कैंप और आसपास के क्षेत्रों में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया। फिलहाल पुलिस आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों की पहचान और आपराधिक रिकॉर्ड खंगालने में जुटी है। जल्द ही इन सभी को मीडिया के सामने पेश किया जा सकता है।
गढ़चिरौली में 6 करोड़ के इनामी भूपति का आत्मसमर्पण
एक दिन पहले महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में माओवादी पोलित ब्यूरो मेंबर भूपति उर्फ मोजुल्ला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू दादा ने 60 साथियों के साथ आत्मसमर्पण किया। यह सरेंडर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने हुआ, जहां सभी नक्सलियों ने अपने हथियार भी सौंप दिए।
6 करोड़ के अधिक के नक्सलियों ने सौंपे हथियार
भूपति 1980 के दशक से माओवादी संगठन से जुड़ा हुआ था और छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में मोस्ट वांटेड था। उस पर अकेले छत्तीसगढ़ में 1.5 करोड़ का इनाम घोषित था, जबकि सभी राज्यों को मिलाकर यह इनाम 6 करोड़ से अधिक था।
सुकमा में 27 नक्सलियों का सरेंडर
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 14 अक्टूबर को 27 नक्सलियों ने सरेंडर किया। इनमें 10 महिलाएं और 17 पुरुष शामिल हैं। इन सभी पर कुल 50 लाख रुपए तक का इनाम घोषित था। इनमें से एक नक्सली पर 10 लाख, तीन पर 8-8 लाख और अन्य पर अलग-अलग रकम का इनाम था।
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सरेंडर करने वाले माओवादी संगठन के PLGA बटालियन नंबर 01 और रिजनल मिलिट्री कंपनी (RMC) से जुड़े थे। इन्होंने SP किरण चव्हाण, CRPF, कोबरा कमांडो और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के सामने हथियार डाले। नक्सलियों ने बताया कि वे “छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति 2025” और शासन की “नियद नेल्ला नार” योजना से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौटे हैं।
सरकार की पुनर्वास नीति का असर
सरकार की ओर से आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को प्रोत्साहन राशि (50-50 हजार) और पुनर्वास सुविधाएं दी जा रही हैं। इसके अलावा उन्हें समाज में दोबारा स्थापित करने के लिए शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा की गारंटी भी दी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटनाक्रम माओवाद के खात्मे की दिशा में “टर्निंग पॉइंट” साबित हो सकता है।