प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज लोकसभा में ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर चर्चा शुरू करेंगे। यह राष्ट्रीय गीत आजादी की लड़ाई में अहम था और इसके ऐतिहासिक महत्व पर बात की जाएगी। विपक्ष इसे लेकर बीजेपी पर आरोप लगा रहा है। चर्चा हंगामेदार हो सकती है।

संसद सत्र 2025 लाइव
मणिपुर से कांग्रेस सांसद डॉ अंगोमचा बिमोल अकोइजम ने वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मणिपुर संकट पर सरकार ने कोई गम्भीर चर्चा नहीं की, जबकि 65 हजार लोग अभी भी बेघर हैं। उन्होंने दिल्ली के प्रदूषण और विमानन क्षेत्र के संकट जैसे मुद्दों पर सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। बिमोल अकोइजम ने कहा कि आजादी के आंदोलन के शहीदों ने जिस देश की कल्पना की थी, क्या हम वही देश बना रहे हैं?
भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने वंदे मातरम पर चर्चा करते हुए इसके सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि 7 नवंबर, 1875 को अक्षय नवमी के दिन बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम का सृजन किया था। इस दिन को उन्होंने भारतीय संस्कृति के पवित्र दिन के रूप में बताया, क्योंकि इसी दिन भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं को समाप्त किया। स्वराज ने कहा कि वंदे मातरम पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधता है, और यह राष्ट्रगान से कहीं अधिक है, यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के मौके पर त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने लोकसभा में चर्चा में भाग लिया। उन्होंने वंदे मातरम को भारत के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह पंक्ति शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि का रूप है। देब ने इस गीत के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की गहरी भावना और बलिदानों को याद किया।
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने वंदे मातरम पर चर्चा करते हुए कहा कि इसे महज साहित्य और राष्ट्रगीत के दायरे में नहीं बांधा जा सकता। हुड्डा ने यह भी कहा कि वंदे मातरम ने देश को एकजुट किया और इसका आध्यात्मिक महत्व बेहद गहरा है। उन्होंने पंडित नेहरू के कार्यकाल में स्थापित आईआईटी और एम्स जैसी संस्थाओं का जिक्र करते हुए बताया कि आज उनके योगदान से भारत दुनियाभर में सराहा जा रहा है। उनके बयान ने संसद में वंदे मातरम और देश की एकता पर एक नई बहस छेड़ दी है।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने दिल्ली के प्रदूषण और एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि जब हम वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर इसे लेकर चर्चा कर रहे हैं, तो उसी वक्त दिल्ली की हवा जहरीली हो गई है। महुआ ने आरोप लगाया कि देश में घृणा फैलाने का माहौल बना हुआ है और यह दिखाता है कि हम कितने गंभीर हैं। उनकी टिप्पणी ने संसद में दिल्ली के प्रदूषण और राष्ट्रीय मुद्दों पर नई बहस छेड़ दी है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने वसुधैव कुटुंबकम जैसे उदार विचारों को खतरा मानकर तुष्टीकरण की राजनीति की। इस नीति के चलते कुछ अल्पसंख्यक समुदाय दशकों तक सरकारी अवसरों से वंचित रहे और मुस्लिम महिलाओं से समान अधिकार छीने गए। सिंह ने कहा कि यही नीति देश के विभाजन और पश्चिम बंगाल में पलायन जैसी स्थितियों का कारण बनी। उन्होंने जोर देकर कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में वामपंथी चरमपंथ अब कमजोर हो रहा है।
लोकसभा में वंदे मातरम पर हुई ऐतिहासिक चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से जुड़ा एक अहम किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि एक उच्चस्तरीय बैठक में नेहरू ने कम्युनिस्टों को भारत के लिए खतरा नहीं माना, बल्कि दक्षिणपंथी कम्युनलिज्म को बड़ा खतरा बताया था। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह उद्धरण एक किताब में दर्ज है और यदि विपक्ष चाहे तो वह इसका प्रमाण देने को भी तैयार हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि दुर्भाग्य से नेहरू यह देखने के लिए जीवित नहीं रहे कि वही दक्षिणपंथी आज संविधान की मर्यादा के साथ राष्ट्र को आगे बढ़ा रहे हैं।
लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर हुई विशेष चर्चा में बिहार के RJD सांसद अभय कुमार सिन्हा ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि बिहार की धरती आज भी स्वतंत्रता आंदोलन की धड़कनों से भरी हुई है, जहां वंदे मातरम सिर्फ गीत नहीं, एक भावना है। सिन्हा ने कहा कि यही गीत आजादी की लड़ाई में बहादुरों की प्रेरणा बना और आज भी लोगों में वही उत्साह जगाता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि देश की विरासत को राजनीति से ऊपर उठकर सम्मान के साथ देखना सभी की जिम्मेदारी है।
लोकसभा में वंदे मातरम पर हुई विशेष चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे देश की आत्मा का गीत बताया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम ने स्वतंत्रता आंदोलन में करोड़ों भारतीयों की राष्ट्रचेतना जगाई और संघर्ष की प्रेरणा दी। राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि यह गीत सिर्फ एक रचना नहीं, बल्कि भारत की भावनाओं, संस्कृति और स्वाभिमान का प्रतीक है। उन्होंने विपक्ष से भी अपील की कि इस गीत को राजनीतिक विवादों में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में देखा जाए।
प्रियंका गांधी ने कहा कि 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने वंदे मातरम् गाया और 1905 में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ इसे संघर्ष का हिस्सा बनाया। यह गीत मातृभूमि के लिए बलिदान की भावना जगाता है। उन्होंने 1930 के दशक में इसके विवाद और नेताजी के 1937 के कांग्रेस अधिवेशन का जिक्र किया, जो पीएम मोदी ने नहीं बताया।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ गीत नहीं, बल्कि देशभक्ति की भावना है। यह स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाता है, साहस, बल और नैतिकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इसकी शक्ति के सामने ब्रिटिश साम्राज्य भी झुक गया था।
प्रियंका गांधी ने संसद में सवाल उठाया कि वंदे मातरम् 150 साल से देश की आत्मा का हिस्सा है। उन्होंने पूछा कि आज इस पर बहस क्यों हो रही है और इसका मकसद क्या है। उन्होंने जनता के विश्वास और जिम्मेदारी की चिंता व्यक्त की।
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि वंदे मातरम् के शताब्दी वर्ष में देश आपातकाल की अंधकारमय स्थिति में था। उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान को कमजोर किया। ठाकुर ने कहा कि उस समय इस पर खुली चर्चा नहीं हो पाई, जबकि आज पीएम मोदी ने इसके इतिहास और महत्व को साफ-साफ प्रस्तुत किया।
पश्चिम बंगाल की बारासात से तृणमूल कांग्रेस सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने वंदे मातरम पर चर्चा में भाग लिया। उन्होंने बांग्ला भाषा में देश के विभाजन की सोच रखने वालों का बहिष्कार और मतदाताओं के अधिकारों का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने वर्तमान सरकार को कटघरे में खड़ा किया और अपने संबोधन के अंत में “जय बांग्ला” का नारा भी लगाया।
लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान DMK सांसद ए राजा ने पीएम मोदी की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सवाल किया कि वंदे मातरम पर विभाजन किसने पैदा किया और सीधे बीजेपी पर निशाना साधा, कहा कि इसे मुसलमानों ने नहीं, बल्कि उनके पूर्वजों ने उत्पन्न किया। ए राजा ने बताया कि इतिहास के प्रमाण बताते हैं कि वंदे मातरम केवल ब्रिटिशों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि कुछ हद तक मुसलमानों के खिलाफ भी निर्देशित था। उन्होंने नेहरू के सुभाष चंद्र बोस को लिखे पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि वंदे मातरम के विरोध में साम्प्रदायिक ताकतों का योगदान था, लेकिन इसमें कुछ वास्तविक आधार भी था।
अखिलेश यादव ने कहा कि सांप्रदायिक राजनीति नहीं चलेगी और यह सत्ताधारी दल राष्ट्रविवादी है, राष्ट्रवादी नहीं। उन्होंने वंदे मातरम् को किसी पर थोपने की कोशिश का विरोध किया।
समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान भाजपा नीत सत्तारूढ़ खेमे पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल हर चीज की मिल्कियत चाहता है। अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि वंदे मातरम् ने लाखों भारतीयों को एकजुट किया और यह राष्ट्रीय गीत प्रतिबंधों के बावजूद लोगों के दिलों में हमेशा जीवित रहा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि वे लोग जो कभी स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिए, वंदे मातरम् की अहमियत को क्या जानेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि आज वंदे मातरम् की आड़ में सत्ताधारी दल देश को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि वंदे मातरम् से अंग्रेज घबराने लगे थे, इसलिए उन्होंने इस पर पाबंदी लगाई। उन्होंने यह भी कहा कि वंदे मातरम् राजनीति का विषय नहीं है और ऐसा लगता है कि यह किसी का बनाया हुआ है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वंदे मातरम पर बयान देते हुए कहा कि इस नारे ने आज़ादी की लड़ाई को नई ऊर्जा दी और पूरे देश को एकजुट किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष हर मुद्दे पर अपने अधिकार को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जिससे लोकतंत्र को खतरा हो सकता है। यादव ने कहा कि वंदे मातरम का महत्त्व सिर्फ एक गीत के रूप में नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय चेतना के रूप में था।
लोकसभा में विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई ने "वंदे मातरम्" पर बयान देते हुए कहा कि बंगाल की भूमि ने न केवल राष्ट्रगान, बल्कि राष्ट्रीय गीत भी दिया। उन्होंने बंकीम चंद्र चट्टोपाध्याय और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महापुरुषों की कविताओं का उल्लेख किया, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया। गोगोई ने कहा कि "वंदे मातरम्" 1905 में आनंदमठ के रूप में लिखा गया था, जब किसानों पर अंग्रेजों का अत्याचार बढ़ गया था।
संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों को लेकर कांग्रेस सांसद ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। सांसद गोगोई ने दावा किया कि पीएम मोदी ने अपने हालिया एक घंटे के भाषण में वंदे मातरम को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। उन्होंने यह भी कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भी पीएम ने 14 बार पंडित नेहरू का नाम लिया था। सांसद ने संसद के रिकॉर्ड गिनाते हुए बताया कि प्रधानमंत्री कितनी बार नेहरू और कांग्रेस का उल्लेख कर चुके हैं, और इसे उन्होंने एक पैटर्न बताया।
पीएम मोदी के वंदे मातरम पर भाषण के बाद कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने बंगाल के सपूतों को नमन करते हुए कहा कि वंदे मातरम को अब राष्ट्रीय गीत से अलग एक राजनीतिक नारे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। गोगोई ने पीएम मोदी के ग्रामोफोन के जिक्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि आजादी से पहले वंदे मातरम का प्रसार पंपलेट्स और प्रकाशित दस्तावेजों से हुआ था, न कि सिर्फ ग्रामोफोन से।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बंगाल का विभाजन हुआ, लेकिन उसी समय स्वदेशी आंदोलन भी शुरू हुआ, जिसने देश में आत्मनिर्भरता और राष्ट्रवादी चेतना को एक नई दिशा दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बंगाल का विभाजन जरूर हुआ, लेकिन उसी दौर में स्वदेशी आंदोलन भी खड़ा हुआ जिसने देश में आत्मनिर्भरता और राष्ट्रवादी चेतना को नई दिशा दी।@PMOIndia @narendramodi #PMModi #SwadeshiMovement #BengalPartition #IndianHistory #Nationalism pic.twitter.com/KfUzfVeIpl
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पीएम मोदी ने कहा, वंदे मातरम् हर भारतीय का संकल्प और आत्मगौरव का प्रतीक है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, वंदे मातरम् सिर्फ आज़ादी की लड़ाई का मंत्र नहीं, बल्कि आज भी राष्ट्रप्रेम और एकता का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम केवल आज़ादी की लड़ाई का मंत्र नहीं है, बल्कि यह आज भी देश को एकता, प्रेरणा और राष्ट्रप्रेम की भावना से जोड़ने का शक्तिशाली सूत्र है।@narendramodi @PMOIndia #VandeMataram #PMModi #NationalPride #IndiaFirst #parliament pic.twitter.com/exLCjCUbfJ
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता, त्याग और बलिदान का प्रतीक था। इसने स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी और भारतीयों को एकजुट होकर गुलामी के खिलाफ संघर्ष करने प्रेरित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता, त्याग और बलिदान का मंत्र था जिसने आज़ादी की लड़ाई को नई ऊर्जा दी।@narendramodi @PMOIndia #VandeMataram #PMModi #IndiaHistory #FreedomStruggle #NationalPride pic.twitter.com/AGZuwBMM1o
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पीएम मोदी ने संसद में वंदे मातरम् से जुड़ा एक महत्वपूर्ण किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि 20 मई 1906 को बारीसाल में वंदे मातरम् का जुलूस निकाला गया, जिसमें 10,000 से अधिक लोग शामिल हुए। इस दौरान रंगपुर के एक स्कूल में छात्रों पर वंदे मातरम् गाने पर अंग्रेजी हुकूमत ने 5-5 रुपये का जुर्माना लगाया और कई स्कूलों में इस पर पाबंदी लगा दी थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने वंदे मातरम् की शक्ति पर बात करते हुए कहा कि इस गीत ने करोड़ों भारतीयों को यह एहसास कराया कि स्वतंत्रता की लड़ाई किसी जमीन या सत्ता के लिए नहीं, बल्कि गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति और भारत की महान संस्कृति और इतिहास के पुनर्जन्म के लिए थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत को कमजोर बताना एक सामान्य बात बन गई थी, लेकिन बंकिम दा ने वंदे मातरम् के माध्यम से भारतीयों को उनका सामर्थ्य दिखाया। पीएम ने इस गीत के प्रेरणादायक शब्दों को साझा किया, जो आज भी जागरूकता का प्रतीक हैं।
लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जब इस गीत के 50 साल पूरे हुए थे, तब देश गुलामी में था और 100 साल पूरे होने पर आपातकाल था। आज 150 वर्षों में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। पीएम मोदी ने इसे स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा में कहा, “वह मंत्र जिसने देश के स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरणा दी और त्याग का मार्ग दिखाया, उसका पुण्य स्मरण करना इस सदन का सौभाग्य है।” उन्होंने इसे ऐतिहासिक अवसर बताते हुए गर्व व्यक्त किया।
लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह गीत आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है, यदि हम इसे सही तरीके से अपनाएं। उन्होंने वंदे मातरम के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि इस गीत ने स्वतंत्रता संग्राम को ऊर्जा दी। पीएम ने उदाहरण देते हुए कहा कि जब वंदे मातरम के 50 साल पूरे हुए, तो देश गुलामी की बेड़ियों में था, और 100 साल पूरे होने पर आपातकाल के हालात थे। मोदी ने विश्वास जताया कि आज की चर्चा नए विचारों को जन्म देगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा के शीतकालीन सत्र में पहुंच चुके हैं और वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के मौके पर विशेष बहस की शुरु कर चुके हैं। यह गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने उपन्यास आनंद मठ में लिखा था और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में यह क्रांतिकारियों का प्रमुख नारा बना। इस बहस का उद्देश्य वंदे मातरम् के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
लोकसभा में त्योहारों के दौरान पर्यटन और रेलवे टूरिज्म की तैयारियों पर सरकार से सवाल पूछा गया। पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने महाकुंभ का उदाहरण देते हुए कहा कि केंद्र पूरे देश में पर्यटकों के लिए व्यापक इंतजाम करता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि तमिलनाडु के किसी भी विशेष धार्मिक या पर्यटन स्थल से जुड़े प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार होगा। रेल मंत्रालय के साथ समन्वय करके हर जरूरी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
लोकसभा में प्रसाद योजना को लेकर अहम सवाल पर पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसके उद्देश्य दोहराए। उन्होंने बताया कि 2014-15 में PM मोदी के मार्गदर्शन में शुरू हुई ये योजना श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव देने पर केंद्रित है। देशभर के 54 धार्मिक स्थलों पर परियोजनाओं ने पर्यटन अनुभव को मजबूत किया है। स्थानीय निकायों की भूमिका पर मंत्री ने साफ कहा कि प्रबंधन राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ही करते हैं।
छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत को सहेजने को लेकर संसद में महत्वपूर्ण सवाल उठा। महासमुंद सांसद रूप कुमारी चौधरी ने सिरपुर और राजीम जैसे प्राचीन स्थलों के कायाकल्प पर सरकार की योजना जाननी चाही। केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने स्पष्ट किया कि केंद्र गंभीर है, पर राज्य सरकार से अब तक कोई प्रस्ताव नहीं आया है। पर्यटन की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए इस मुद्दे पर जल्द कदमों की उम्मीद की जा रही है।
कांग्रेस सांसद एमके विष्णु प्रसाद ने रेलवे टूरिज्म और त्योहारी सीजन में पर्यटकों के लिए विशेष इंतजामों पर सवाल उठाया। पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने महाकुंभ का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार हर कोने में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए पर्याप्त व्यवस्था करती है।
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने वंदे मातरम को सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी आह्वान बताया, जिसने भारतीयों को अंग्रेजी हुकूमत और आक्रांताओं के खिलाफ एकजुट किया। पूनावाला ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि यदि वे इस चर्चा में शामिल हो रहे हैं, तो क्या वे अपने परिवार द्वारा वंदे मातरम के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए माफी मांगेंगे? उन्होंने दावा किया कि नेहरू ने इस गीत का विरोध किया था और कांग्रेस आज भी तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है, जिससे देश की एकता पर खतरा है।
भाजपा की राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर लोकसभा में हो रही विशेष चर्चा का समर्थन किया। उन्होंने इसे केवल एक गीत नहीं, बल्कि देशभक्ति की भावना और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताया। उनका कहना था कि वंदे मातरम स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा था।
कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने वंदे मातरम पर संसद में चर्चा को लेकर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा सचिवालय के नियमों के अनुसार संसद में इस गीत का गाना सदन की मर्यादा के खिलाफ है। भगत ने अपील की कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से बचते हुए देश की वीरता और गौरव की बातें चर्चा का हिस्सा बनें। उनका कहना था कि वंदे मातरम से डरने की जरूरत नहीं, लेकिन इसका राजनीतिक रंग देना उचित नहीं।
आज संसद में ‘वंदे मातरम’ के 150वें वर्ष पर विशेष चर्चा होगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि यह केवल गीत का उत्सव नहीं, बल्कि आज का “सामाजिक‑सांस्कृतिक संघर्ष” है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे उस ऊर्जा को समझें, जो स्वतंत्रता आंदोलन में थी। देश आज उनके विचार सुनने को उत्सुक है।
बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सभी विपक्षी दलों से अपील की कि वे 'वंदे मातरम' के 150वें वर्ष के उत्सव में सहमति व्यक्त करें। त्रिवेदी ने कहा, “सभी दलों को राष्ट्रीय विकास और एकता की भावना को मजबूत करने के लिए कट्टरवादी सोच और राजनीति से ऊपर उठकर इस पहल में शामिल होना चाहिए।” प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को लेकर देश भर में उत्सुकता है।
सपा सांसद राजीव राय ने ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर संसद में होने वाली विशेष चर्चा को लेकर तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा कि केवल ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा नहीं, बल्कि उन लोगों पर भी बहस होनी चाहिए जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम का विरोध कर अंग्रेजों को चिट्ठियां लिखीं। राय ने माफी मांगने वालों और सत्ता में बैठे लोगों पर भी निशाना साधा। उनके बयान से संसदीय चर्चा में राजनीतिक बहस तेज होने की संभावना बढ़ गई है।
देशभर में हवाई यात्राओं में अव्यवस्था बढ़ गई है, खासकर इंडिगो एयरलाइन के फ्लाइट कैंसिलेशन की वजह से। हजारों यात्री एयरपोर्ट पर फंसे रहे। इस गंभीर स्थिति पर अब एक संसदीय पैनल चर्चा कर सकता है, और संसद में भी इस मसले पर बहस हो सकती है।
‘वंदे मातरम’ पर होने वाली चर्चा के दौरान कांग्रेस की ओर से लोकसभा में आठ नेता वक्तव्य देंगे। इनमें उप लोकसभा नेता गौरव गोगोई, प्रियंका गांधी वाड्रा, दीपेंद्र हुड्डा, बिमोल अकोइजाम, प्रणिति शिंदे, प्रशांत पाडोले, चमाला रेड्डी और ज्योत्स्ना महंत शामिल हैं।
7 नवंबर को ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे हो गए। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत पहली बार 7 नवंबर 1875 को बंगदर्शन पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे संगीतबद्ध किया और यह राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
कांग्रेस सांसद सप्तगिरि उल्का ने लोकसभा में कामकाज स्थगित करने का नोटिस देकर ओडिशा की एक बी.Ed. छात्रा के साथ तिरुपति के राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में हुए यौन उत्पीड़न और धमकी के मामले पर तत्काल चर्चा की मांग की। यह मामला चौंकाने वाला बताया गया है।
New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज लोकसभा में ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर एक खास चर्चा शुरू करेंगे। यह राष्ट्रीय गीत बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखा गया था और 7 नवंबर 1875 को पहली बार बंगदर्शन पत्रिका में छपा था। इस गाने का आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान था और आज भी इसकी ऐतिहासिक अहमियत है। पीएम मोदी संसद में इस गाने के महत्व और इसकी आज की जरूरत पर भी बात करेंगे। वहीं, विपक्ष ने एनडीए सरकार पर आरोप लगाया है कि वह भारत की आजादी और एकता के प्रतीकों से असहज है।
संसद का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा और इस बीच ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा हंगामेदार हो सकती है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस गाने को लेकर अलग-अलग राय सामने आएगी।