New Delhi: कर्नाटक की राजनीति में सोमवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला, जब सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि राजन्ना ने विधान सौध में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ बैठक के बाद अपना इस्तीफा सौंपा। यह घटनाक्रम कर्नाटक विधानसभा सत्र के दौरान उस समय चर्चा में आया, जब भाजपा विधायकों ने कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल और राजन्ना से इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
सिद्धारमैया के करीबी माने जाने वाले राजन्ना पिछले दो महीनों से सुर्खियों में थे, जब उन्होंने ‘अगस्त क्रांति’ का दावा कर सरकार में बड़े बदलाव का संकेत दिया था। सोमवार को उन्होंने कथित मतदाता सूची में गड़बड़ी पर अपनी ही पार्टी और सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाकर सियासी हलचल और तेज कर दी।
राजन्ना ने कहा कि मतदाता सूची का ड्राफ्ट तैयार उस समय हुआ, जब कांग्रेस की ही सरकार सत्ता में थी। उन्होंने सवाल उठाया कि उस समय अनियमितताओं के बावजूद कोई शिकायत क्यों नहीं की गई। उनके मुताबिक, “ये गड़बड़ियां हमारी आंखों के सामने हुईं, हमें शर्म आनी चाहिए। उस समय हमने ध्यान नहीं दिया, अब बातें कर रहे हैं। महादेवपुरा में एक व्यक्ति तीन अलग-अलग जगह पंजीकृत था और तीनों जगह वोट डाला। जब ड्राफ्ट सूची बनती है, तब हमें उसकी निगरानी करनी चाहिए और आपत्तियां दर्ज करानी चाहिए।”
राजन्ना का यह बयान कांग्रेस के अंदर ही विरोधाभास उजागर करता है। उन्होंने साफ कहा कि उस समय पार्टी चुप रही, जबकि कार्रवाई हो सकती थी। उनके इस बयान ने विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष को कांग्रेस पर निशाना साधने का मौका दे दिया।
इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राजन्ना के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, “के.एन. राजन्ना पूरी तरह गलत हैं, उन्हें तथ्य नहीं पता। मुख्यमंत्री और पार्टी का आलाकमान इसका जवाब देगा।”
राजन्ना का इस्तीफा और उनके बेबाक बयान से कांग्रेस के भीतर की खींचतान और मतदाता सूची के मुद्दे पर नए सिरे से बहस शुरू हो गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी आलाकमान उनके आरोपों और इस्तीफे को किस तरह हैंडल करता है, क्योंकि मामला अब विधानसभा से लेकर जनता तक चर्चा का विषय बन चुका है।