CBI ने FBI की जानकारी पर बड़ी कार्रवाई करते हुए नोएडा में संचालित एक अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया। यह गिरोह यूएस सरकारी एजेंसियों के नाम पर कॉल कर 8.5 मिलियन डॉलर की ठगी कर रहा था। छापेमारी में 1.88 करोड़ रुपये, 34 डिजिटल डिवाइस और भारी मात्रा में सबूत बरामद किए गए।

CBI ने की बड़ी कार्रवाई (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
New Delhi: नोएडा में सक्रिय एक बड़े ट्रांसनेशनल साइबर क्राइम नेटवर्क को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने ध्वस्त कर दिया है। यह नेटवर्क पिछले तीन वर्षों से अमेरिका के नागरिकों को ठगी का शिकार बना रहा था। यह कार्रवाई अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) से मिले इनपुट के आधार पर की गई और इसे हाल के वर्षों की सबसे बड़ी संयुक्त अंतरराष्ट्रीय साइबर-क्राइम कार्रवाई माना जा रहा है। CBI ने इस आपराधिक नेटवर्क से जुड़े छह प्रमुख ऑपरेटिव को गिरफ्तार कर एक अवैध कॉल सेंटर को भी सील कर दिया है।
FBI द्वारा साझा की गई जानकारी में बताया गया था कि 2022 से 2025 के बीच भारतीय साइबर अपराधी अमेरिकी सरकारी एजेंसियों- Drug Enforcement Agency (DEA), FBI तथा Social Security Administration (SSA)- के अधिकारियों के नाम पर खुद को पेश कर रहे थे। वे अमेरिकी नागरिकों को कॉल कर यह दावा करते थे कि उनके सोशल सिक्योरिटी नंबर (SSN) का उपयोग ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है, जिसके कारण उनके बैंक खाते और संपत्तियाँ फ्रीज की जा रही हैं।
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पीड़ितों को डराकर यह कहा जाता था कि यदि वे अपनी संपत्ति बचाना चाहते हैं, तो उन्हें अपना धन 'सुरक्षित खातों' में ट्रांसफर करना होगा। ये खाते वास्तव में आरोपियों के क्रिप्टो वॉलेट और विदेशी बैंक अकाउंट होते थे। इसी तरीके से आरोपियों ने US नागरिकों से 8.5 मिलियन डॉलर (लगभग 71 करोड़ रुपये) हड़प लिए।
CBI ने 9 दिसंबर को मामला दर्जकर देशभर में आरोपी व्यक्तियों की लोकेशन और नेटवर्क की पहचान की। दिल्ली, नोएडा और कोलकाता में एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की गई। इस दौरान CBI को बड़े पैमाने पर डिजिटल सबूत और दस्तावेज मिले, जो ठगी की पूरी साजिश को जोड़ते थे।
नोएडा में स्थित एक अवैध कॉल सेंटर को भी छापेमारी के दौरान चलती हालत में पकड़ा गया। यहां से छह लोगों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। यह कॉल सेंटर अमेरिकी नागरिकों को धोखाधड़ी भरे कॉल कर रहा था।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
ये सभी सबूत दिखाते हैं कि नेटवर्क तकनीकी रूप से अत्यधिक संगठित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय था।
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यह पूरी ठगी 'बातों के जाल और मनोवैज्ञानिक दबाव' पर आधारित थी, जिसमें कई अमेरिकी बुजुर्ग लोग सबसे बड़े शिकार बने।
CBI ने बताया है कि यह नेटवर्क केवल भारत में ही नहीं, बल्कि संभवत: अन्य देशों से भी जुड़ा है।