अमेरिका से भारत तक फैला हाई-टेक फ्रॉड नेटवर्क ध्वस्त- CBI ने पकड़ा इंटरनेशनल साइबर गैंग, 6 आरोपी गिरफ्तार

CBI ने FBI की जानकारी पर बड़ी कार्रवाई करते हुए नोएडा में संचालित एक अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया। यह गिरोह यूएस सरकारी एजेंसियों के नाम पर कॉल कर 8.5 मिलियन डॉलर की ठगी कर रहा था। छापेमारी में 1.88 करोड़ रुपये, 34 डिजिटल डिवाइस और भारी मात्रा में सबूत बरामद किए गए।

Post Published By: ईशा त्यागी
Updated : 12 December 2025, 5:40 PM IST

New Delhi: नोएडा में सक्रिय एक बड़े ट्रांसनेशनल साइबर क्राइम नेटवर्क को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने ध्वस्त कर दिया है। यह नेटवर्क पिछले तीन वर्षों से अमेरिका के नागरिकों को ठगी का शिकार बना रहा था। यह कार्रवाई अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) से मिले इनपुट के आधार पर की गई और इसे हाल के वर्षों की सबसे बड़ी संयुक्त अंतरराष्ट्रीय साइबर-क्राइम कार्रवाई माना जा रहा है। CBI ने इस आपराधिक नेटवर्क से जुड़े छह प्रमुख ऑपरेटिव को गिरफ्तार कर एक अवैध कॉल सेंटर को भी सील कर दिया है।

कैसे हुआ खुलासा?

FBI द्वारा साझा की गई जानकारी में बताया गया था कि 2022 से 2025 के बीच भारतीय साइबर अपराधी अमेरिकी सरकारी एजेंसियों- Drug Enforcement Agency (DEA), FBI तथा Social Security Administration (SSA)- के अधिकारियों के नाम पर खुद को पेश कर रहे थे। वे अमेरिकी नागरिकों को कॉल कर यह दावा करते थे कि उनके सोशल सिक्योरिटी नंबर (SSN) का उपयोग ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है, जिसके कारण उनके बैंक खाते और संपत्तियाँ फ्रीज की जा रही हैं।

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पीड़ितों को डराकर यह कहा जाता था कि यदि वे अपनी संपत्ति बचाना चाहते हैं, तो उन्हें अपना धन 'सुरक्षित खातों' में ट्रांसफर करना होगा। ये खाते वास्तव में आरोपियों के क्रिप्टो वॉलेट और विदेशी बैंक अकाउंट होते थे। इसी तरीके से आरोपियों ने US नागरिकों से 8.5 मिलियन डॉलर (लगभग 71 करोड़ रुपये) हड़प लिए।

CBI ने 9 दिसंबर को दर्ज किया केस, शुरू हुआ बड़ा अभियान

CBI ने 9 दिसंबर को मामला दर्जकर देशभर में आरोपी व्यक्तियों की लोकेशन और नेटवर्क की पहचान की। दिल्ली, नोएडा और कोलकाता में एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की गई। इस दौरान CBI को बड़े पैमाने पर डिजिटल सबूत और दस्तावेज मिले, जो ठगी की पूरी साजिश को जोड़ते थे।

नोएडा में स्थित एक अवैध कॉल सेंटर को भी छापेमारी के दौरान चलती हालत में पकड़ा गया। यहां से छह लोगों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। यह कॉल सेंटर अमेरिकी नागरिकों को धोखाधड़ी भरे कॉल कर रहा था।

प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स- इंटरनेट)

कैश से लेकर डिजिटल डिवाइस तक बरामदगी

  • CBI के अनुसार छापे के दौरान ये महत्वपूर्ण सामग्री बरामद की गई-
  • ₹1.88 करोड़ नकद
  • 34 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (लैपटॉप, मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव आदि)
  • आपराधिक गतिविधियों से जुड़े दस्तावेज
  • क्रिप्टो वॉलेट की जानकारी और डिजिटल ट्रांजैक्शन के रिकॉर्ड

ये सभी सबूत दिखाते हैं कि नेटवर्क तकनीकी रूप से अत्यधिक संगठित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय था।

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कैसे करता था काम यह साइबर नेटवर्क?

  • जांच में पता चला कि यह गिरोह भारत में बैठकर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाता था।
  • कॉल सेंटर में प्रशिक्षित स्कैमर्स अमेरिकी उच्चारण की नकल कर कॉल करते थे।
  • खुद को "यूएस फेडरल एजेंट" बताकर पीड़ितों को डराते थे।
  • उनसे कहा जाता था कि उनकी पहचान और धन जोखिम में है।
  • फिर उन्हें क्रिप्टोकरेंसी में धन भेजने या विदेशी खातों में रकम जमा करने को कहा जाता था।
  • पीड़ित डर के कारण तुरंत पैसे ट्रांसफर कर देते थे।

यह पूरी ठगी 'बातों के जाल और मनोवैज्ञानिक दबाव' पर आधारित थी, जिसमें कई अमेरिकी बुजुर्ग लोग सबसे बड़े शिकार बने।

CBI की आगे की कार्रवाई जारी

CBI ने बताया है कि यह नेटवर्क केवल भारत में ही नहीं, बल्कि संभवत: अन्य देशों से भी जुड़ा है।

  • अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन की जांच की जा रही है।
  • क्रिप्टोकरेंसी के जरिए भेजे गए पैसों का ट्रैक किया जा रहा है।
  • विदेशी खातों और संभावित सहयोगियों की पहचान की जा रही है।
  • FBI और अन्य अमेरिकी एजेंसियों के साथ मिलकर आगे की जांच तेज की जाएगी।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 12 December 2025, 5:40 PM IST