New Delhi: देश की बड़ी कंपनियों में से एक, जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड से बड़ी खबर सामने आई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 12000 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज गौड़ को गिरफ्तार किया है। मनोज गौड़ पर आरोप हैं कि उनके माध्यम से जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) ने बड़ी धोखाधड़ी की और घर खरीदने वालों के पैसों का दुरुपयोग किया।
15 ठिकानों पर की थी छापेमारी
जानकारी के अनुसार, मई 2025 में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) के तहत जेपी इंफ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स और संबंधित कंपनियों के लगभग 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी। दिल्ली और मुंबई समेत विभिन्न शहरों में की गई इस तलाशी में कैश, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, बैंक रिकॉर्ड और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए थे। इसके अलावा करीब 1.7 करोड़ रुपये नकद भी जब्त किए गए।
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जेपी समूह की वित्तीय स्थिति
बता दें कि 1981 में जयप्रकाश गौड़ ने जेपी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की स्थापना की थी। लगभग 44 साल पुरानी यह कंपनी अपने दिवालियापन के कगार पर है। कंपनी के लिए खरीदार खोजने की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें अडानी समूह की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने सबसे ऊंची बोली लगाई है।
वहीं इससे पहले, खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता ने 12,505 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। अब, अडानी एंटरप्राइजेज इस नीलामी में सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी बन गई है, जिससे संभावना बढ़ गई है कि वे जेपी इन्फ्रास्ट्रक्चर का अधिग्रहण कर सकते हैं।
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मनोज गौड़ पर ये आरोप
आरोप है कि कंपनी ने घर खरीदने वालों के पैसे को अपने प्रोजेक्ट से बाहर दूसरी जगह निवेश किया। ED की इस गिरफ्तारी से मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में कंपनियों की जवाबदेही को लेकर नया संदेश गया है। अब जांच आगे बढ़ रही है और मनोज गौड़ से जुड़े अन्य वित्तीय और कानूनी पहलुओं की भी समीक्षा की जाएगी।
यह गिरफ्तारी और जांच स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि प्रवर्तन निदेशालय रियल एस्टेट धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में कड़ी कार्रवाई कर रहा है। इसके अलावा, जेपी समूह की वित्तीय समस्याएं भी कंपनी की बिक्री संभावनाओं को प्रभावित कर रही हैं।

