दिल्ली में दिसंबर 2025 के दौरान AQI खतरनाक स्तर पर पहुंच गया, लेकिन अया नगर, लोधी रोड और IGI एयरपोर्ट जैसे कुछ इलाके अपेक्षाकृत कम प्रदूषण के साथ राहत दे रहे हैं। हरियाली, कम ट्रैफिक और बेहतर वायु प्रवाह इसकी मुख्य वजह हैं।

दिल्ली प्रदूषण
New Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर भीषण वायु प्रदूषण की गिरफ्त में है। 18 दिसंबर 2025 को शहर का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 380 से 562 के बीच दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ से ‘खतरनाक’ श्रेणी में आता है। सुबह के समय ही शहर के कई हिस्से स्मॉग की मोटी चादर में ढके नजर आए। PM2.5 और PM10 के अत्यधिक स्तर ने लोगों की सांसें भारी कर दीं।
विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण की इस भयावह स्थिति के पीछे कई कारण हैं, जिनमें वाहनों से निकलने वाला धुआं, बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य, औद्योगिक उत्सर्जन और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने का असर। सर्दियों में हवा की रफ्तार कम होने से प्रदूषक तत्व वातावरण में ही फंसे रहते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक ऐसे प्रदूषित वातावरण में रहने से दमा, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग और बच्चों में विकास संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। हालात को देखते हुए सरकार ने GRAP (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के तहत स्टेज-3 लागू किया, जिसमें निर्माण कार्यों पर रोक और स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाओं जैसे कदम शामिल हैं।
पूरी दिल्ली एक जैसी प्रदूषण से ग्रस्त नहीं है। भारी AQI के बावजूद कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां हवा की गुणवत्ता शहर के औसत से बेहतर दर्ज की गई। इनमें प्रमुख रूप से अया नगर (AQI 272), लोधी रोड (AQI 280), IGI एयरपोर्ट टर्मिनल-3 (AQI 263), CRRI मथुरा रोड (AQI 290) और बुराड़ी क्रॉसिंग (AQI 298) शामिल हैं।
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हालांकि, ये आंकड़े भी आदर्श नहीं हैं, लेकिन जब शहर के कई हिस्सों में AQI 450 से ऊपर पहुंच रहा हो, तब ये इलाके अपेक्षाकृत राहत देने वाले बन जाते हैं। इन क्षेत्रों में PM2.5 का स्तर अन्य औद्योगिक इलाकों की तुलना में काफी कम पाया गया।
कम प्रदूषण वाले इन इलाकों की सबसे बड़ी ताकत है-हरियाली। लोधी रोड और अया नगर जैसे क्षेत्रों में बड़े पार्क, घने पेड़ और खुले स्थान मौजूद हैं। पेड़ प्राकृतिक फिल्टर की तरह काम करते हैं और हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों को सोखने में मदद करते हैं। IGI एयरपोर्ट क्षेत्र में नियंत्रित ट्रैफिक, खुला भू-भाग और बेहतर वेंटिलेशन सिस्टम हवा की गुणवत्ता को संतुलित बनाए रखने में सहायक है। वहीं दक्षिणी दिल्ली के कई हिस्सों में अरावली और दिल्ली रिज का प्रभाव भी देखने को मिलता है, जो प्रदूषण को फैलने से रोकता है।
इसके उलट, उत्तर और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के कई इलाके गंभीर प्रदूषण से जूझ रहे हैं। बवाना, वजीरपुर, रोहिणी, जहांगीरपुरी, आनंद विहार और अशोक विहार जैसे क्षेत्रों में AQI 340 से 380 के बीच दर्ज किया गया। ये इलाके औद्योगिक गतिविधियों, भारी ट्रैफिक और निर्माण कार्यों के कारण प्रदूषण के केंद्र बने हुए हैं। आनंद विहार जैसे क्षेत्रों में लैंडफिल साइट्स से निकलने वाली गैसें भी समस्या को और बढ़ा देती हैं। इन इलाकों में रहने वाले लोग आंखों में जलन, सांस फूलने और गले में खराश जैसी समस्याओं से लगातार परेशान हैं।
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विशेषज्ञ मानते हैं कि कम AQI वाले इलाकों में भौगोलिक स्थिति, हरियाली और मानवीय गतिविधियों का संतुलन अहम भूमिका निभाता है। जहां ट्रैफिक कम है, भारी उद्योग नहीं हैं और खुले स्थान अधिक हैं, वहां प्रदूषण स्वतः कम रहता है। दक्षिणी दिल्ली में हवा के प्रवाह की स्थिति भी अपेक्षाकृत बेहतर है, जिससे प्रदूषक तत्व जमा नहीं हो पाते। इसके विपरीत घनी आबादी और संकरी सड़कों वाले क्षेत्रों में प्रदूषण फंस जाता है।
दिल्ली सरकार और विशेषज्ञों का मानना है कि कम प्रदूषित इलाकों को मॉडल बनाकर पूरे शहर में सुधार किया जा सकता है। अधिक से अधिक हरित क्षेत्र विकसित करना, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और निर्माण कार्यों पर सख्त निगरानी जरूरी है। 2025 में शुरू की गई नई इलेक्ट्रिक बस सेवाएं और ग्रीन कॉरिडोर जैसी योजनाएं सकारात्मक संकेत हैं। अगर जनभागीदारी, सरकारी नीति और तकनीक एक साथ काम करें, तो दिल्ली को फिर से सांस लेने लायक बनाया जा सकता है।