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विमल पान मसाला पर केस: शाहरुख, अजय और टाइगर को नोटिस जारी, जानें क्यों

राजस्थान राज्य उपभोक्ता आयोग ने विमल पान मसाला के भ्रामक विज्ञापन को लेकर शाहरुख खान, अजय देवगन और टाइगर श्रॉफ को नोटिस जारी किया है। आरोप है कि "केसर युक्त" होने का दावा झूठा है और समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। आयोग ने सभी को 8 अक्तूबर को पेश होने के आदेश दिए हैं।
Post Published By: Mayank Tawer
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विमल पान मसाला पर केस: शाहरुख, अजय और टाइगर को नोटिस जारी, जानें क्यों

Jaipur: विमल पान मसाला के भ्रामक विज्ञापन को लेकर राजस्थान राज्य उपभोक्ता प्रतिशोध आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने बॉलीवुड के तीन सुपरस्टार्स शाहरुख खान, अजय देवगन और टाइगर श्रॉफ को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही विमल पान मसाला की निर्माता कंपनी को भी नोटिस भेजा गया है। आयोग ने सभी पक्षों को 8 अक्तूबर 2025 को व्यक्तिगत रूप से या अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। यह कार्रवाई जयपुर निवासी गजेन्द्र सिंह द्वारा दायर परिवाद पर आधारित है, जिसकी पैरवी अधिवक्ता सुमन शेखावत कर रही हैं।

भ्रामक दावा: “केसर युक्त पान मसाला”

परिवाद में कहा गया है कि विमल पान मसाला और जर्दा उत्पादों में “केसर” होने का दावा भ्रामक और अविश्वसनीय है। अधिवक्ता सुमन शेखावत ने बताया कि केसर की कीमत लगभग 4 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है, ऐसे में इसका पान मसाले में प्रयुक्त होना अकल्पनीय है। यह दावा केवल उपभोक्ताओं को भ्रमित करने के लिए किया जा रहा है। परिवाद में यह भी उल्लेख किया गया है कि ये उत्पाद स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं और इनका प्रचार करना समाज, खासकर युवाओं पर नकारात्मक असर डालता है।

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परिवादी ने सवाल उठाया है कि पद्मश्री सम्मानित कलाकारों शाहरुख खान और अजय देवगन की यह नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी बनती है कि वे ऐसे हानिकारक उत्पादों का प्रचार न करें। लेकिन इसके विपरीत, वे करोड़ों रुपये लेकर विमल जैसे उत्पादों के ब्रांड एंबेसडर बन गए हैं, जो एक तरह से सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा देना है।

क्या है परिवादी की मांगें?

  1. गजेन्द्र सिंह ने आयोग के समक्ष कई मांगें रखी हैं:
  2. विमल पान मसाला के उत्पादन और विज्ञापन पर तत्काल रोक लगाई जाए।
  3. संबंधित कलाकारों से राष्ट्रीय पुरस्कार वापस लिए जाएं।
  4. प्रत्येक कलाकार पर 50 लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया जाए।

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कानूनी विशेषज्ञों की राय

कानूनी जानकारों का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक विज्ञापन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जनजागरूकता और नैतिक जिम्मेदारी से जुड़ा हुआ है। तंबाकू और पान मसाला जैसे उत्पादों के विज्ञापन से युवा वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। इस प्रकार की कार्यवाही समाज को सशक्त और जागरूक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। राज्य आयोग की इस पहल से आने वाले समय में सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट की नैतिकता और दायित्व को लेकर एक नई बहस शुरू हो सकती है।

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