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17 सांसदों को मिलेगा ‘संसद रत्न’ सम्मान, जानिए कौन-कौन हैं ये दमदार चेहरे और क्या किया ऐसा खास?

संसद का मानसून सत्र जहां 21 अगस्त 2025 तक चलने वाला है, वहीं इस सत्र के बीच एक बड़ी और सम्मानजनक घोषणा हुई है। संसद में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 17 सांसदों को ‘संसद रत्न सम्मान–2025’ से नवाजा जाएगा। ये सम्मान उनके अनुकरणीय और निरंतर योगदान को देखते हुए दिया जा रहा है।
Post Published By: Poonam Rajput
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17 सांसदों को मिलेगा ‘संसद रत्न’ सम्मान, जानिए कौन-कौन हैं ये दमदार चेहरे और क्या किया ऐसा खास?

New Delhi: संसद का मानसून सत्र जहां 21 अगस्त 2025 तक चलने वाला है, वहीं इस सत्र के बीच एक बड़ी और सम्मानजनक घोषणा हुई है। संसद में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 17 सांसदों को ‘संसद रत्न सम्मान–2025’ से नवाजा जाएगा। ये सम्मान उनके अनुकरणीय और निरंतर योगदान को देखते हुए दिया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार,  इस बार लोकसभा में सशक्त प्रदर्शन करने वाले जिन सांसदों को इस सम्मान के लिए चुना गया है, उनमें सुप्रिया सुले (NCP-SP), रवि किशन (BJP), निशिकांत दुबे (BJP), अरविंद सावंत (Shivsena-UBT), स्मिता उदय वाघ (BJP), नरेश म्हस्के (Shivsena), वर्षा गायकवाड़ (कांग्रेस), मेधा कुलकर्णी (BJP), प्रवीण पटेल (BJP), विद्युत बरण महतो (BJP) और दिलीप सैकिया (BJP) जैसे नाम शामिल हैं।

चार सांसदों को मिलेगा ‘विशेष जूरी पुरस्कार’

इस साल संसद रत्न पुरस्कार में चार सांसदों को विशेष जूरी पुरस्कार से भी नवाजा जाएगा। ये सांसद लगातार तीन कार्यकालों से संसद में सक्रिय और लोकतंत्र को मजबूत बनाने वाले माने गए हैं:

इन चारों ने न केवल अपने क्षेत्रीय मुद्दों को मजबूती से उठाया, बल्कि विधायी प्रक्रियाओं में भी गहरी भागीदारी निभाई है।

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समितियों को भी मिली पहचान

सिर्फ व्यक्तिगत सांसद ही नहीं, बल्कि वित्त संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष: भर्तृहरि महताब) और कृषि संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष: चरणजीत सिंह चन्नी) को भी इस वर्ष सम्मानित किया जाएगा। ये समितियाँ विधायी निगरानी और रिपोर्ट की गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं।

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‘संसद रत्न सम्मान’ एक गैर-सरकारी पहल है, जिसे तमिलनाडु के प्रतिष्ठित सामाजिक संगठन द्वारा संचालित किया जाता है। यह पुरस्कार पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और प्रभावी जनप्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दिया जाता है। इस सम्मान से यह स्पष्ट होता है कि संसद में उत्कृष्ट कार्य और जनहित के मुद्दों पर गंभीरता से बोलने वाले प्रतिनिधियों को देश सराहता है — और लोकतंत्र मजबूत होता है।

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