मुंबई BMC चुनाव 2025 में बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन कर सीट शेयरिंग फाइनल कर ली। बीजेपी 137 और शिवसेना 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अजित पवार की एनसीपी अलग चुनाव लड़ रही है। नामांकन की अंतिम तिथि 30 जनवरी।

बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन तय (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
Mumbai: बीएमसी चुनाव 2025 को लेकर राजनीति में हलचल तेज है। लंबे समय से बीजेपी और शिवसेना के बीच सीट शेयरिंग को लेकर चल रही खींचतान सोमवार 29 दिसंबर को देर रात खत्म हो गई और दोनों दलों के बीच फाइनल फॉर्मूला तय कर लिया गया। अब बीजेपी 137 सीटों पर और शिवसेना 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मुंबई महानगर पालिका में कुल 227 वार्ड हैं और 30 जनवरी तक नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है।
बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन को लेकर चल रही चर्चाओं ने पूरे शहर में राजनीतिक माहौल गर्म कर दिया था। दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत के बाद यह फाइनल फॉर्मूला तैयार हुआ। इससे पहले दोनों दलों में सीटों को लेकर खींचतान और विवाद की खबरें लगातार सामने आ रही थीं।
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महायुति में शामिल एनसीपी इस बार बीजेपी और शिवसेना के साथ नहीं जा रही है। एनसीपी के नेता अजित पवार ने मुंबई में अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है। रविवार को एनसीपी ने अपनी पहली सूची जारी करते हुए 37 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, जबकि सोमवार को 27 नामों की घोषणा की। इस तरह अब तक एनसीपी ने मुंबई के लिए कुल 64 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
बीजेपी ने भी सोमवार को बीएमसी चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। इस सूची में 2017 के बीएमसी चुनाव में जीत हासिल करने वाले कुछ पार्षदों के नाम शामिल हैं। उम्मीदवारों में सबसे प्रमुख नाम बीजेपी के राज्य मीडिया प्रमुख नवनाथ बान हैं, जो शिवाजीनार क्षेत्र के वार्ड नंबर 135 से चुनाव लड़ेंगे। नवनाथ बान को पार्टी की तरफ से सबसे युवा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा गया है।
मुंबई महानगर पालिका में कुल 227 वार्ड हैं और मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 3 लाख 44 हजार 315 है। इसमें 55 लाख 16 हजार 707 पुरुष, 48 लाख 26 हजार 509 महिलाएं और 1099 ‘अन्य’ श्रेणी के मतदाता शामिल हैं। मतदाताओं में पुरुषों की हिस्सेदारी 53 फीसदी है जबकि महिलाओं की 47 फीसदी। मुंबई समेत महाराष्ट्र के 29 नगर निगमों का चुनाव 15 जनवरी को होगा और मतगणना अगले दिन होगी।
साल 2017 के बीएमसी चुनाव में अविभाजित शिवसेना 84 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि बीजेपी को 82 सीटें मिली थीं। शिवसेना के 84 पार्षदों में से 46 बाद में शिंदे गुट में शामिल हो गए थे, जबकि अन्य दलों के 16 पार्षद भी शिंदे गुट में चले गए थे। बीजेपी में भी छह अन्य दलों के पार्षद शामिल हुए थे। इस बार का चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले नतीजों की तुलना में दोनों बड़े दलों के बीच गठबंधन का असर सीधे परिणामों पर पड़ सकता है।
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बीजेपी और शिवसेना का यह गठबंधन शहर की राजनीति को नए सिरे से आकार देगा। दोनों दलों के वरिष्ठ नेता चुनावी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं और अपने-अपने उम्मीदवारों की पूरी तैयारी कर रहे हैं। वहीं, अजित पवार की एनसीपी ने अलग चुनाव लड़ने की रणनीति अपनाई है, जिससे महायुति में नए समीकरण बनने की संभावना है।