Kathmandu: नेपाल की राजधानी काठमांडू में सोमवार का दिन तनाव भरा गुजर रहा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध में हज़ारों की संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए हैं। ये विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसमें मुख्य रूप से 18 से 30 वर्ष के बीच की उम्र के युवा भाग ले रहे हैं। अब तक इस प्रदर्शन में 16 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 100 से अधिक घायल हैं। काठमांडू के साथ-साथ पोखरा और इटहरी में भी गोली चलने की खबरें हैं। पोखरा में गंडकी प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय पर पथराव भी हुआ।
सोशल मीडिया बैन होने पर प्रदर्शन
बता दें कि नेपाल सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जिनमें फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, X (ट्विटर), रेडिट और व्हाट्सऐप शामिल हैं, पर बैन लगा दिया। सरकार का कहना है कि ये प्लेटफॉर्म नेपाल में रजिस्ट्रेशन और टैक्स कानूनों का पालन नहीं कर रहे थे, लेकिन जनता इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रही है।
सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब
काठमांडू की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ इतनी बढ़ गई कि वे संसद भवन परिसर तक पहुंच गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की। स्थिति बेकाबू होते देख सेना की दो से तीन टुकड़ियां राजधानी में तैनात की गई हैं।
Nepal Protest: काठमांडू में सोशल मीडिया बैन के विरोध में प्रदर्शन, प्रशासन ने लगाया कर्फ्यू
बढ़ रही मरने वालों की संख्या
बता दें कि अब तक इस प्रदर्शन में 16 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 100 से अधिक घायल हैं। काठमांडू के साथ-साथ पोखरा और इटहरी में भी गोली चलने की खबरें हैं। पोखरा में गंडकी प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय पर पथराव भी हुआ।
कर्फ्यू और गोली मारने के आदेश
प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने काठमांडू में कर्फ्यू को रात 10 बजे तक बढ़ा दिया है। इसके अलावा तोड़फोड़ करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए गए हैं। पुलिस द्वारा एक इमारत से चलाई गई गोली के जवाब में प्रदर्शनकारियों ने उस इमारत में तोड़फोड़ की।
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भारत-नेपाल सीमा पर अलर्ट
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारत-नेपाल बॉर्डर पर भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। भारत की ओर से SSB (सशस्त्र सीमा बल) ने सीमा की निगरानी बढ़ा दी है और सर्विलांस को और सख्त कर दिया गया है।
प्रदर्शनकारियों का आरोप
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया पर बैन का असली मकसद जनता की आवाज को दबाना और सरकार विरोधी आंदोलन को कुचलना है। युवाओं ने कहा कि वे VPN के ज़रिए सोशल मीडिया तक पहुंच बना रहे हैं और यह आंदोलन जारी रहेगा।
वहीं, नेपाल सरकार का कहना है कि उन्होंने 2024 में एक कानून लागू किया था, जिसमें सभी सोशल मीडिया कंपनियों को देश में स्थानीय कार्यालय खोलना और टैक्स के लिए रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य किया गया था। इन शर्तों को पूरा न करने पर कार्रवाई की गई। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार इस फैसले को लेकर चौतरफा दबाव में है।

