डूरंड लाइन पर फिर गूंजीं गोलियों की आवाजें, जानें क्या है इस खतरनाक सीमा का इतिहास जिसपर लड़ रहे पाक-अफगान

डूरंड लाइन पर तालिबानी हमलों से पाकिस्तान तनाव में है। यह 2640 किलोमीटर लंबी सीमा दशकों से विवादित है और अब सिर्फ भू-राजनीतिक नहीं, बल्कि सुरक्षा संकट बन चुकी है। यह विवाद कोई नया नहीं है, बल्कि दशकों से दोनों देशों के बीच चल रहा है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 12 October 2025, 12:18 PM IST

Islamabad: डूरंड लाइन के पास अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमाओं पर फिर से गोलीबारी हुई। तालिबानी लड़ाके पाकिस्तान की फौजी चौकियों पर हमले कर रहे हैं, जबकि पाकिस्तान ने जवाबी फायरिंग शुरू कर दी है। यह विवाद कोई नया नहीं है, बल्कि दशकों से दोनों देशों के बीच चल रहा है।

दुनिया की सबसे खतरनाक सीमा

कश्मीर, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान से होकर गुजरने वाली यह सीमा सुरक्षा और राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। यहां रोजाना हमले, अवैध व्यापार और आतंकवादी गतिविधियां होती हैं। सीमा पार रहने वाले लोगों की जिंदगी अस्थिरता और भय के बीच गुजरती है।

डूरंड लाइन का इतिहास

डूरंड लाइन 2640 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जिसे ब्रिटिश हुकूमत ने 1893 में खींचा था। इसे सर हेनरी डूरंड ने तत्कालीन अफगान शासक अब्दुर रहमान खान के साथ समझौते के तहत बनाया। ब्रिटिशों का उद्देश्य भारत और अफगानिस्तान के बीच बफर जोन बनाना था, ताकि रूस की विस्तारवादी नीति रोकी जा सके। यह सीमा पश्तून और बलूच जनजातियों से होकर गुजरती है, जिससे इन समुदायों के परिवार दो देशों में बंट गए।

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अफगानिस्तान क्यों मान्यता नहीं देता?

अफगानिस्तान इस रेखा को कभी आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं देता। उसका कहना है कि यह औपनिवेशिक काल की जबरन थोपे गई सीमा है, जिसे स्थानीय जनजातियों की राय लिए बिना तय किया गया। विशेष रूप से पश्तून समुदाय इसके सबसे अधिक प्रभावित हुए, क्योंकि उनके परिवार और कबीले दो देशों में बंट गए।

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तालिबान के सत्ता में आने के बाद तनाव

साल 2021 में तालिबान सत्ता में आया, तब पाकिस्तान को उम्मीद थी कि काबुल में एक “दोस्ताना सरकार” बनेगी। लेकिन तालिबान ने डूरंड लाइन को अफगान संप्रभुता का उल्लंघन बताया और पाकिस्तान पर सीमा में बाड़ लगाने का आरोप लगाया। तब से सीमा पर कई झड़पें हो चुकी हैं। तालिबान समर्थित टीटीपी ने भी पाकिस्तान में हमले किए, जिससे तनाव और बढ़ गया।

तालिबान और अफगान फौज की ताकत

तालिबान के पास लगभग 80,000 लड़ाके हैं, जबकि अफगान सेना में 5 से 6 लाख सैनिक हैं। बावजूद इसके तालिबान लगातार प्रभावी दिखाई देता है। उसकी ताकत कबीलाई जड़ों, धार्मिक नेटवर्क और गुप्त पाकिस्तानी मदद में निहित है। यही कारण है कि तालिबान अब पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल रहा है।

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पाकिस्तान के लिए चुनौती

तालिबान, जिसे पाकिस्तान ने कभी रणनीतिक गहराई के लिए समर्थन दिया था, अब उसकी सीमाओं पर खतरा बन गया है। वह न सिर्फ डूरंड लाइन को नकारता है, बल्कि पाकिस्तान में अपनी धार्मिक और राजनीतिक पकड़ बढ़ा रहा है।

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  • 12 October 2025, 12:18 PM IST