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पतली बांह और मोटी कमर? हो जाइए सावधान, AIIMS स्टडी ने खोला डिमेंशिया का नया राज

एम्स गोरखपुर की रिसर्च में सामने आया कि पतली बांह और मोटा पेट बुजुर्गों में डिमेंशिया के सबसे अहम लक्षण बन सकते हैं। एम्स-ICMR की स्टडी से बड़ा हेल्थ अलर्ट जारी।
Post Published By: सौम्या सिंह
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पतली बांह और मोटी कमर? हो जाइए सावधान, AIIMS स्टडी ने खोला डिमेंशिया का नया राज

Gorakhpur: अगर आपकी उम्र 60 साल से ज्यादा है और आपकी बांह पतली लेकिन कमर पर चर्बी ज्यादा है, तो सतर्क हो जाइए। यह शरीर की सामान्य बनावट नहीं बल्कि डिमेंशिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारी का शुरुआती संकेत हो सकता है। एम्स गोरखपुर में किए गए एक हालिया अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अध्ययन में सामने आया कि जिन बुजुर्गों की बांह पतली और पेट या कमर के आसपास ज्यादा चर्बी थी, उनमें स्मृति हानि, निर्णय लेने की क्षमता में कमी और सोचने में परेशानी जैसे लक्षण ज्यादा पाए गए।

70 प्रतिशत बुजुर्गों में डिमेंशिया के लक्षण

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) गोरखपुर ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के सात विकासखंडों में यह अध्ययन किया। स्टडी में 60 वर्ष से अधिक उम्र के 1013 बुजुर्गों को शामिल किया गया, जिसमें से 709 लोग डिमेंशिया से पीड़ित पाए गए। इनमें 416 पुरुष और 293 महिलाएं थीं। सभी पीड़ितों में एक समान शारीरिक विशेषता देखी गई—उनकी बांह पतली थी और कमर के आसपास चर्बी जमा थी।

बांह पतली और पेट की चर्बी क्यों है खतरे की घंटी?

स्टडी के अनुसार जिन बुजुर्गों की बांह के मध्य हिस्से का घेरा (Mid Upper Arm Circumference) कम पाया गया, उनमें स्मृति, भाषा और सोचने की क्षमता में कमी देखी गई। वहीं जिन लोगों की कमर और पेट के आसपास ज्यादा चर्बी थी, उनमें ध्यान केंद्रित करने, निर्णय लेने और भाषा समझने की ताकत में भी गिरावट पाई गई।

डिमेंशिया का संकेत (फोटो सोर्स- इंटरनेट)

यह माप केंद्रीय मोटापा (Central Obesity) को पहचानने का आसान तरीका है, जो भविष्य में शारीरिक और मानसिक बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकता है। यह दर्शाता है कि सिर्फ वजन नहीं, बल्कि शरीर में चर्बी का वितरण भी मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है।

डिमेंशिया के ये लक्षण न करें नजरअंदाज

प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स- इंटरनेट)

स्टडी का दूसरा चरण जल्द शुरू होगा

AIIMS गोरखपुर अब डिमेंशिया को लेकर 40 से 60 वर्ष की आयु वर्ग पर स्टडी का दूसरा चरण शुरू करने जा रहा है। इसके तहत गोरखपुर महानगर के 30 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों को तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा।

पहली श्रेणी के लोगों को सप्ताह में चार दिन योग, एक्सरसाइज और संगीत के माध्यम से सक्रिय जीवनशैली सिखाई जाएगी।

दूसरी श्रेणी के लोगों को सिर्फ जागरूकता दी जाएगी, लेकिन कोई शारीरिक गतिविधि नहीं कराई जाएगी।

तीसरी श्रेणी में शामिल लोग स्वेच्छा से गतिविधि करेंगे, लेकिन उन्हें कोई निर्देश नहीं मिलेगा।

बुजुर्गों में पोषण और व्यायाम का महत्व

अध्ययनकर्ता डॉ. यू वेंकटेश (असिस्टेंट प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन एंड फैमिली मेडिसिन, AIIMS गोरखपुर) ने बताया कि बुजुर्गों में यदि समय रहते कुपोषण या पेट की चर्बी को पहचान लिया जाए, तो डिमेंशिया के खतरे को काफी हद तक रोका जा सकता है। यह अध्ययन राष्ट्रीय स्तर पर ‘डिमेंशिया मुक्त भारत’ अभियान में सहायक साबित हो सकता है।

अगर आपकी या आपके परिजनों की बांह पतली है और पेट पर चर्बी ज्यादा, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह केवल शरीर की बनावट नहीं, बल्कि एक गंभीर मानसिक बीमारी का संकेत हो सकता है। समय रहते उचित खानपान, व्यायाम और जागरूकता ही डिमेंशिया से बचाव का सबसे कारगर उपाय है।

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