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Health Insurance Clam: अब सिर्फ 2 घंटे में मिलेगा हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम, जानिए कैसे

स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अब हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम के लिए 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। नई तकनीकों और उन्नत चिकित्सा पद्धतियों को ध्यान में रखते हुए कई बीमा कंपनियों ने केवल 2 घंटे के हॉस्पिटलाइजेशन पर भी क्लेम स्वीकारना शुरू कर दिया है।
Post Published By: Sapna Srivastava
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Health Insurance Clam: अब सिर्फ 2 घंटे में मिलेगा हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम, जानिए कैसे

New Delhi: स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में एक नया और राहत भरा कदम सामने आया है। पहले बीमा क्लेम पाने के लिए मरीज़ को कम से कम 24 घंटे अस्पताल में रुकना पड़ता था, अब कई बीमा कंपनियाँ इस शर्त को ख़त्म कर रही हैं। अब आप सिर्फ़ 2 घंटे अस्पताल में रहने पर भी मेडिक्लेम का लाभ उठा सकते हैं।

चिकित्सा प्रौद्योगिकी में सुधार ने परिभाषा बदल दी है

पिछले एक दशक में चिकित्सा प्रौद्योगिकी ने ज़बरदस्त प्रगति की है। सर्जरी और इलाज की तकनीकें इतनी उन्नत हो गई हैं कि कई गंभीर माने जाने वाले ऑपरेशन कुछ ही घंटों में पूरे हो जाते हैं। अब मोतियाबिंद के ऑपरेशन, कीमोथेरेपी, एंजियोग्राफी जैसे इलाजों के लिए रात भर अस्पताल में रुकने की ज़रूरत नहीं है।

इस बदलाव के पीछे मकसद यह है कि पॉलिसीधारकों का दावा सिर्फ़ “रात भर अस्पताल में न रुकने” के कारण खारिज न हो।

प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स-गूगल)

बीमा कंपनियाँ अपडेट हो रही हैं

इस ज़रूरत को समझते हुए, कई बड़ी बीमा कंपनियों ने अपनी पॉलिसी में बदलाव किए हैं। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड का एलिवेट प्लान, केयर इंश्योरेंस का सुप्रीम प्लान और निवा बूपा का हेल्थ रिअश्योर प्लान अब उन उपचारों को कवर करते हैं जिनमें मरीज को केवल कुछ घंटों के लिए अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है।

इन योजनाओं का विवरण क्या है?

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड एलिवेट प्लान: ₹9,195 वार्षिक प्रीमियम पर ₹10 लाख का कवरेज (30 वर्षीय धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति के लिए)

केयर सुप्रीम प्लान: ₹12,790 वार्षिक प्रीमियम से शुरू

निवा बूपा हेल्थ रिअश्योर: ₹14,199 वार्षिक प्रीमियम से शुरू

विशेषज्ञों की राय

पॉलिसीबाजार में स्वास्थ्य बीमा प्रमुख, सिद्धार्थ सिंघल ने सीएनबीसी-टीवी18 से बात करते हुए कहा कि हमें समय के साथ स्वास्थ्य बीमा को अपडेट करना होगा। नई तकनीक ने इलाज के समय को काफी कम कर दिया है और बीमा कंपनियों को इसमें लचीलापन लाना होगा।

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