Moradabad: 22 सप्ताह की गर्भवती एक दुष्कर्म पीड़िता के अचानक महिला अस्पताल से गायब होने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। हाईकोर्ट और सीजेएम कोर्ट से गर्भपात की अनुमति मिलने के बाद भी गर्भपात की प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही पीड़िता अस्पताल से चली गई। विभाग के अधिकारी इस घटना से पूरी तरह अनजान रहे।
कोर्ट से मिली थी गर्भपात की अनुमति
करीब एक माह पहले मुरादाबाद के मुगलपुरा क्षेत्र में रहने वाली एक युवती ने नागफनी क्षेत्र के युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। युवती के अनुसार, आरोपी ने उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए जिससे वह गर्भवती हो गई। गर्भ ठहर जाने के बाद पीड़िता ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने अनचाहे गर्भ को गिराने की अनुमति मांगी थी। उस समय पीड़िता 18 सप्ताह और 3 दिन की गर्भवती थी।
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महिला अस्पताल में भर्ती हुई थी पीड़िता
कोर्ट के आदेश के बाद 22 अक्तूबर को पीड़िता को महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां दो स्त्री रोग विशेषज्ञों की देखरेख में उसे रखा गया। इसके अलावा गर्भपात प्रक्रिया के लिए गठित बोर्ड में एक फिजिशियन, एक एनेस्थेटिस्ट और एक सर्जन को शामिल किया गया था। पीड़िता की जांच और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी थीं। अधिकारी अगले दिन गर्भपात की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में थे, लेकिन उसी रात वह रहस्यमय तरीके से अस्पताल से चली गई।
स्वास्थ्य विभाग ने सौंपी रिपोर्ट
घटना का पता चलते ही स्वास्थ्य विभाग ने मामले की रिपोर्ट सीजेएम कोर्ट और पुलिस को भेज दी। विभाग के अनुसार, अस्पताल से जाने के बाद भी अधिकारियों ने पीड़िता से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला।
निजी अस्पताल में गर्भपात की मांग
पीड़िता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में एक नया प्रार्थनापत्र दाखिल किया, जिसमें उसने गर्भपात निजी अस्पताल में कराने की अनुमति मांगी है। हालांकि अदालत ने शुक्रवार को इस पर सुनवाई नहीं की और 27 अक्तूबर की तारीख तय की है।
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विभाग में सवाल-जवाब
अस्पताल से पीड़िता के जाने की खबर के बाद विभाग में हड़कंप मच गया। सवाल उठ रहे हैं कि जब पीड़िता डॉक्टरों की निगरानी में थी, तो वह कैसे बाहर निकल गई? अस्पताल प्रशासन या सुरक्षाकर्मी किसी ने भी उसे जाते हुए क्यों नहीं देखा?
प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल
यह घटना सिर्फ विभागीय चूक नहीं, बल्कि महिला सुरक्षा और संवेदनशील मामलों के प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करती है। एक दुष्कर्म पीड़िता, जिसे कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति दी थी, अगर सरकारी निगरानी में अस्पताल से गायब हो जाती है, तो यह सिस्टम की नाकामी का स्पष्ट संकेत है।
27 अक्टूबर को होगी अहम सुनवाई
अब सभी की नजरें 27 अक्तूबर को होने वाली अदालत की सुनवाई पर टिकी हैं। इस दिन यह तय होगा कि पीड़िता कहां है, उसने गर्भपात कराया या नहीं, और आगे की कानूनी प्रक्रिया किस दिशा में जाएगी। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग और पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही पीड़िता का पता चलेगा, पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

