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अपराधी को फरार कराना पड़ा महंगा, दरोगा और कांस्टेबल पर आई आफत, पढ़ें पूरी खबर

जिले में अपराधी का साथी बनना दरोगा और कांस्टेबल को महंगा पड़ ग पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Asmita Patel
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अपराधी को फरार कराना पड़ा महंगा, दरोगा और कांस्टेबल पर आई आफत, पढ़ें पूरी खबर

कानपुर: जिले के नवाबगंज इलाके में पुलिस द्वारा की गई एक दबिश के दौरान एक गंभीर मामला सामने आया है। यहां दबिश के दौरान पुलिस कर्मियों द्वारा अपराधी अनूप शुक्ला को फरार कराने की घटना को लेकर थानेदार की तहरीर पर दरोगा आदित्य बाजपेई और कांस्टेबल विजयराज के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले में दोनों पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू हो गई है और उन्हें जल्द जेल भेजे जाने की तैयारी की जा रही है। यह पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। जिससे पुलिस कर्मियों और अपराधी के बीच गठजोड़ का खुलासा हुआ है।

सीसीटीवी में कैद हुई घटनाएं

सीसीटीवी फुटेज में दरोगा आदित्य बाजपेई और कांस्टेबल विजयराज को साफ तौर पर देखा गया, जहां दोनों पुलिसकर्मी अपराधी अनूप शुक्ला से बात कर रहे थे और उसे फरार कराते हुए दिखे। इसके अलावा, अनूप शुक्ला ट्रॉली बैग लेकर मौके से फरार होता हुआ सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो गया। सीसीटीवी फुटेज में यह भी देखा गया कि आदित्य बाजपेई बाइक से अनूप के घर पहुंचे और वाहन को धीमा करके अनूप को इशारा किया, जिससे यह साफ हो गया कि पुलिस ने जानबूझकर अपराधी को मौके से फरार करवा दिया। इस घटनाक्रम के बाद पुलिस ने दोनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की।

पुलिस की दबिश का मकसद

यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब पुलिस को जानकारी मिली कि अपहरण और हत्या के प्रयास में फरार चल रहे अपराधी दीनू का भाई, संजय उपाध्याय, अनूप शुक्ला के घर पर छिपा हुआ है। नवाबगंज के थाना प्रभारी केशव कुमार तिवारी ने इस सूचना के आधार पर 12 जून को अनूप के घर दबिश देने का आदेश दिया था। पुलिस की टीम में दरोगा आदित्य और कांस्टेबल विजय राज भी शामिल थे। लेकिन दबिश के दौरान इन दोनों पुलिसकर्मियों ने अनूप शुक्ला को भागने का मौका दे दिया, जो कि बाद में सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो गया।

एफआईआर में अनूप शुक्ला का जिक्र नहीं

वर्तमान एफआईआर में एक अजीब बात यह है कि पुलिस ने अनूप शुक्ला के फरार होने का कहीं भी जिक्र नहीं किया। एफआईआर में केवल यह कहा गया है कि 12 जून को पुलिस ने अनूप शुक्ला के घर पर दबिश दी थी, लेकिन किसी भी संदर्भ में अनूप के फरार होने की बात नहीं की गई है। कानूनी जानकारों के मुताबिक, यह जानकारी छिपाना दरोगा और कांस्टेबल को बचाने की कोशिश हो सकती है, क्योंकि यदि अनूप के फरार होने का जिक्र होता तो यह पुलिसकर्मियों के खिलाफ सीधा साक्ष्य बन जाता।

धारा 264 के तहत एफआईआर

एफआईआर में दरोगा आदित्य बाजपेई और कांस्टेबल विजय राज के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 264 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह धारा उन मामलों में लागू होती है, जब कोई लोक सेवक जानबूझकर या लापरवाही से किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने में असफल हो जाता है या उसे भागने का मौका देता है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पुलिसकर्मियों ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और अपराधी को फरार करवा दिया।

पुलिस कमिश्नर की कार्रवाई

सीसीटीवी फुटेज और एफआईआर के आधार पर पुलिस कमिश्नर ने दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। इसके अलावा, रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है और अब दोनों पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इस पूरी घटना से यह साबित हो गया है कि खाकी और अपराधी के बीच गठजोड़ का मामला अब तक गहरे स्तर पर चलता आ रहा था, लेकिन सीसीटीवी फुटेज ने उसकी पोल खोल दी है।

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