New Delhi: वैश्विक व्यापार में बदलते समीकरण और अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ (High Tariff) का असर अब भारत की अर्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है। वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने अपने ताजा पूर्वानुमान में कहा है कि अगर अमेरिकी टैरिफ नीति में कोई बदलाव नहीं आया, तो आने वाले वर्षों में भारत की GDP ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। वित्त वर्ष 2026-27 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.2% तक गिर सकती है, जो कि पहले के अनुमानों से 20 बेसिस प्वाइंट कम है।
हालांकि, वर्ल्ड बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2025-26) के लिए उम्मीद जताई है और GDP ग्रोथ का अनुमान 20 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 6.5% कर दिया है। इसका मुख्य कारण अप्रैल-जून तिमाही में उम्मीद से अधिक 7.8% की आर्थिक वृद्धि को माना गया है। यह जानकारी वर्ल्ड बैंक की दक्षिण एशिया क्षेत्र की मुख्य अर्थशास्त्री फ्रांजिस्का ओन्सोर्ज ने दी है।
आने वाले वर्षों में असर होगा ज्यादा गहरा
ओन्सोर्ज का कहना है कि फिलहाल अमेरिकी टैरिफ का असर सीमित है, लेकिन अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो 2026-27 तक इसका व्यापक असर भारत की अर्थव्यवस्था पर दिखाई दे सकता है। ऐसे में भारत को अपने संरचनात्मक सुधारों (Structural Reforms) को तेजी से लागू करने की जरूरत है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को श्रम बाजार, व्यापार समझौतों और नीतिगत ढांचे में बदलाव लाना होगा। खासकर श्रम सुधारों को जमीनी स्तर पर उतारना अब बेहद जरूरी हो गया है। उनका मानना है कि सरकार इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन गति और प्रभावशीलता को और बढ़ाना होगा।
आरबीआई का अनुमान वर्ल्ड बैंक से अधिक
इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वर्ल्ड बैंक की तुलना में अधिक आशावादी रुख अपनाया है। आरबीआई ने 1 अक्टूबर को जारी अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष के लिए GDP ग्रोथ रेट 6.8% रहने का अनुमान जताया था, जो कि 30 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी को दर्शाता है।
आरबीआई का यह अनुमान इस उम्मीद पर आधारित है कि मॉनसून सामान्य रहेगा, और वैश्विक या घरेलू स्तर पर कोई बड़ा झटका नहीं आएगा। वहीं, वित्त वर्ष 2026-27 के लिए केंद्रीय बैंक ने GDP ग्रोथ रेट 6.6% रहने की संभावना जताई है।
क्या है अमेरिकी टैरिफ का मूल मामला?
हाल ही में अमेरिका ने कुछ व्यापारिक क्षेत्रों में टैरिफ बढ़ा दिए हैं, जिससे भारत, चीन और अन्य विकासशील देशों के उत्पादों की कीमत प्रतिस्पर्धी नहीं रह पाती। भारत जैसे देश, जो मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात पर निर्भर हैं, को इससे नुकसान होने की आशंका है। इसका सीधा असर निर्यात, उत्पादन और रोजगार पर पड़ सकता है।
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सरकार की रणनीति और आगे की राह
फ्रांजिस्का ओन्सोर्ज ने यह भी कहा कि भारत सरकार कई स्तरों पर सुधारों और समझौतों पर काम कर रही है। व्यापार समझौतों (Trade Agreements) को लेकर भी बातचीत चल रही है। यदि ये प्रयास समय पर पूरे हुए, तो भारत इस संभावित संकट से काफी हद तक बच सकता है।