RBI ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 5.25% कर दिया है। इससे होम लोन की ब्याज दरें 7.1% तक आ सकती हैं और 1 करोड़ के लोन पर EMI करीब 1,440 रुपये घट सकती है। जानिए इसका असर बैंक, जमाकर्ताओं और रियल एस्टेट सेक्टर पर।

घर खरीदने वालों को राहत (img source: Google)
New Delhi: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) ने आज रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करते हुए इसे 5.25 प्रतिशत कर दिया है। इस फैसले के बाद देशभर में होम लोन लेने वाले और नए खरीदारों के लिए बड़ी राहत की उम्मीद बन गई है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में होम लोन की ब्याज दरें 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस से पहले वाले स्तर तक पहुंच सकती हैं।
फिलहाल यूनियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक जैसे कई सरकारी बैंक करीब 7.35% की दर पर होम लोन ऑफर कर रहे हैं। रेपो रेट में 0.25% की कटौती के बाद इन बैंकों की दरें 7.1% के आसपास आ सकती हैं।
इस कटौती का सीधा असर EMI पर भी पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई व्यक्ति 15 साल के लिए 1 करोड़ रुपये का होम लोन लेता है, तो ब्याज दर में 0.25% की कमी से उसकी EMI करीब 1,440 रुपये प्रति माह कम हो सकती है। इससे सालाना हजारों रुपये की बचत संभव होगी।
गिरेंगे होम लोन रेट (Img source: Google)
बैंकिंग सेक्टर से जुड़े जानकारों का कहना है कि अगर नए ग्राहकों को 7.1% की दर पर लोन देना है, तो बैंकों को डिपॉजिट रेट्स में भी कटौती करनी होगी या फिर अपने बेंचमार्क स्प्रेड में बदलाव करना पड़ेगा।
अगर डिपॉजिट रेट कम नहीं होते हैं, तो बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर दबाव बढ़ेगा। वहीं दूसरी ओर, NBFC सेक्टर को कम फंडिंग कॉस्ट का तुरंत फायदा मिल सकता है। खासतौर पर श्रीराम फाइनेंस जैसे लास्ट-माइल फाइनेंसर्स के लिए यह पॉलिसी बड़ी राहत मानी जा रही है। RBI द्वारा 1 लाख करोड़ रुपये के OMO खरीद की घोषणा से सिस्टम में लिक्विडिटी भी मजबूत बनी रहने की उम्मीद है।
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी में बड़ा बदलाव, रेपो रेट घटाकर 5.25%, जानिए इस साल में कितनी बार हुई कटौती?
गोल्डन ग्रोथ फंड के CEO अंकुर जालान का कहना है कि रेपो रेट में कटौती का असर फिक्स्ड डिपॉजिट और दूसरी सेविंग स्कीम्स पर भी दिखेगा। इससे सेवर्स को मिलने वाला रिटर्न घट सकता है। आने वाले महीनों में बैंक डिपॉजिट रेट कम करने को मजबूर हो सकते हैं, जिससे सुरक्षित निवेश पर रिटर्न कमाने की चुनौती बढ़ेगी।
हालांकि, कम ब्याज दरों से इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा। अमीर निवेशक और फैमिली ऑफिस अक्सर ऐसे माहौल में रियल यील्ड बनाए रखने के लिए रियल एस्टेट आधारित AIFs जैसे हाई रिटर्न प्रोडक्ट्स की ओर रुख करते हैं।
अग्रशील इंफ्राटेक की CEO प्रेक्षा सिंह का कहना है कि भारत का रियल एस्टेट बाजार पहले से ही वैश्विक निवेशकों और NRI समुदाय के लिए आकर्षक बना हुआ है। अब ब्याज दरों में कटौती से घर खरीदना और निवेश करना दोनों और सस्ता हो जाएगा। कम EMI, स्थिर अर्थव्यवस्था और बढ़ती मांग मिलकर आने वाले कुछ क्वार्टर में भारत को रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट की सबसे मजबूत डेस्टिनेशन बना सकते हैं।
कुल मिलाकर, RBI का यह फैसला लोन लेने वालों के लिए राहत और जमाकर्ताओं के लिए थोड़ी चिंता लेकर आया है। आने वाले महीनों में इसका असर बैंकिंग, रियल एस्टेट और निवेश बाजार पर साफ दिखेगा।