New Delhi: भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी का नाम जब भी लिया जाता है, उनके विशाल कारोबारी साम्राज्य और भव्य जीवनशैली की चर्चा जरूर होती है। लेकिन इस सफलता के पीछे कुछ ऐसे नाम भी हैं जो हमेशा सुर्खियों से दूर रहते हैं, फिर भी कंपनी की रणनीतियों और डील्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा ही एक नाम है मनोज मोदी (Manoj Modi)- जिन्हें मुकेश अंबानी का ‘राइट हैंड’ माना जाता है।
कॉलेज से दोस्ती, बिजनेस में साझेदारी
मनोज मोदी और मुकेश अंबानी की दोस्ती आज की नहीं, बल्कि कॉलेज के दिनों की है। दोनों ने मुंबई के University Department of Chemical Technology (UDCT) से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई साथ में की थी। यही से शुरू हुई उनकी दोस्ती वक्त के साथ एक गहरे भरोसे और पेशेवर साझेदारी में बदल गई। आज रिलायंस की कई बड़ी डील्स और निर्णयों के पीछे मनोज मोदी की अहम भूमिका होती है।
पर्दे के पीछे का ताकतवर खिलाड़ी
मनोज मोदी रिलायंस इंडस्ट्रीज में किसी आधिकारिक टाइटल के बावजूद बेहद प्रभावशाली माने जाते हैं। उन्हें रिलायंस की कई टेलीकॉम, रिटेल और पेट्रोकेमिकल डील्स का आर्किटेक्ट कहा जाता है। चाहे जियो की शुरुआत हो या रिटेल सेक्टर में रिलायंस का वर्चस्व, मनोज मोदी ने हर बार रणनीतिक सलाह और क्रियान्वयन में अपनी छाप छोड़ी है।
गिफ्ट में मिला 1500 करोड़ का लग्जरी घर
साल 2022 में मुकेश अंबानी ने अपने इस करीबी सहयोगी को एक शानदार तोहफा दिया- ₹1500 करोड़ का एक 22 मंज़िला लग्जरी घर। यह भव्य इमारत मुंबई के पॉश इलाके नेपियन सी रोड पर स्थित है। करीब 1.7 लाख वर्ग फुट में फैली इस इमारत की पहली सात मंज़िलें सिर्फ कार पार्किंग के लिए बनी हैं, जो इसकी भव्यता का अंदाज़ा देती हैं।
समुद्र के पास आलीशान जीवन
यह घर सिर्फ बड़ा ही नहीं, बल्कि अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। समुद्र से सटे इस लग्जरी टॉवर में हरियाली, निजी सुरक्षा, हाई-एंड इंटीरियर्स और सभी मॉडर्न सुविधाएं मौजूद हैं। इसके आसपास के इलाके में देश के कई अन्य अरबपति भी रहते हैं, जैसे JSW ग्रुप के चेयरमैन सज्जन जिंदल।
निजी जीवन को रखते हैं निजी
मनोज मोदी एक गुजराती परिवार से आते हैं और अपनी निजी जिंदगी को लेकर हमेशा कम चर्चा में रहते हैं। मीडिया में वे शायद ही कभी नजर आते हैं, लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज में उनकी मौजूदगी को हर कोई महसूस करता है। उनका यही स्वभाव उन्हें अलग बनाता है- शक्ति के केंद्र में रहकर भी, सादगी और गुमनामी में जीना।

