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Dollar Vs Indian Rupee: ट्रंप की दोहरी मार भी न डगमगाया रुपया, डॉलर के मुकाबले फिर मजबूत शुरुआत

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव के बीच भारतीय रुपये ने स्थिरता दिखाई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाए जाने की धमकी के बावजूद, शुक्रवार को रुपये में 15 पैसे की मजबूती दर्ज की गई।
Post Published By: Sapna Srivastava
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Dollar Vs Indian Rupee: ट्रंप की दोहरी मार भी न डगमगाया रुपया, डॉलर के मुकाबले फिर मजबूत शुरुआत

New Delhi: भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के बावजूद भारतीय रुपये ने विदेशी मुद्रा बाजार में मजबूती का प्रदर्शन किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के खिलाफ टैरिफ सीमा 50 प्रतिशत तक बढ़ाने की धमकी और यूएस-इंडिया ट्रेड डील को लेकर जारी बयानबाजी से भले ही व्यापारिक माहौल अस्थिर हुआ हो, लेकिन रुपये पर इसका सीधा असर देखने को नहीं मिला।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 15 पैसे मजबूत होकर 87.55 पर खुला, जो निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है। गुरुवार को रुपया 87.66 से 87.77 के बीच बना रहा था। यह संकेत देता है कि डॉलर के मुकाबले रुपया अब भी अपने स्तर को स्थिर बनाए रखने में सफल हो रहा है।

आरबीआई के प्रयासों का असर

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लगातार मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रहा है। रुपये को स्थिर बनाए रखने के लिए डॉलर की खरीद-बिक्री, फॉरेक्स रिजर्व का इस्तेमाल और अन्य मौद्रिक उपाय किए जा रहे हैं। इससे विदेशी निवेशकों और निर्यातकों में भरोसा कायम रहने में मदद मिली है।

रुपये पर दबाव बरकरार

हालांकि, वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत से अब तक रुपये में 2.45% का अवमूल्यन दर्ज किया गया है। फिनरेक्स एडवाइजर्स एलएलपी के हेड ऑफ ट्रेजरी अनिल कुमार भंसाली के मुताबिक, “रुपये पर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, व्यापार तनाव और डॉलर की मजबूती का असर बना हुआ है। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और केंद्रीय बैंक के प्रबंधन के कारण रुपये को अपेक्षाकृत सहारा मिला है।”

उनका कहना है कि भारत की घरेलू मौद्रिक नीतियां, चालू खाता घाटा, विदेशी निवेश की स्थिति और वैश्विक बाजार की चाल रुपये की दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

अमेरिका-भारत व्यापार तनाव की पृष्ठभूमि

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसके पीछे उन्होंने भारत द्वारा रूस से तेल और रक्षा उपकरणों की खरीद को कारण बताया। इसके चलते अमेरिका-भारत व्यापारिक संबंधों में खटास आई है। हालांकि, भारत सरकार ने अपने रुख में कोई बदलाव नहीं करते हुए घरेलू उत्पादकों और किसानों के हितों की रक्षा पर जोर दिया है।

बाजार की प्रतिक्रिया

व्यापारिक तनाव और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद मुद्रा बाजार में स्थिरता बनी हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर आरबीआई का हस्तक्षेप इसी तरह जारी रहा और वैश्विक बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता न बढ़ी, तो रुपया 87 से 88 के दायरे में स्थिर रह सकता है।

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