Mahua: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सबसे चर्चित सीटों में से एक महुआ विधानसभा सीट आज लगातार सुर्खियों में है। वजह हैं-लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे, पूर्व मंत्री और जनशक्ति जनता दल (JJD) के प्रमुख तेज प्रताप यादव, जिन्हें रुझानों में बड़ा झटका लगा है। दोपहर 1 बजे तक आए छह राउंड के आंकड़ों में तेज प्रताप मुश्किल से 5860 वोट जुटा पाए, जबकि उनकी कुल बढ़त नहीं बल्कि पिछड़ने का अंतर 20 हजार से पार कर चुका है।
LJP(R) के संजय कुमार सिंह सबसे आगे
महुआ में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय नहीं, बल्कि चतुष्कोणीय हो गया है। 1 बजे तक आए रुझान इस प्रकार हैं-
- संजय कुमार सिंह (LJP-R): 26,048 वोट
- मुकेश कुमार रौशन (RJD): 17,481 वोट
- अमित कुमार (AIMIM): 8,096 वोट
- तेज प्रताप यादव (JJD): 5860 वोट
इन आंकड़ों से साफ दिखाई देता है कि LJP(R) के संजय कुमार सिंह न सिर्फ बढ़त बनाए हुए हैं, बल्कि मुकाबले में सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं। वहीं, RJD के मौजूदा विधायक मुकेश रौशन अपनी सीट बचाने की कोशिश में दूसरे नंबर पर हैं।
तेज प्रताप की ‘घर वापसी’ की उम्मीदों पर पानी
तेज प्रताप ने 2015 में यहीं महुआ से पहली बार विधायक बनकर राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। 2020 में वे हसनपुर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, लेकिन इस बार उन्होंने आरजेडी से अलग होकर अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल बनाकर महुआ से ही किस्मत आजमाने का फैसला किया।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, तेज प्रताप इस चुनाव में अपनी खोई राजनीतिक जमीन वापस पाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन सामने आ रहे रुझानों ने उनकी राह पहले ही मुश्किल कर दी है।
महुआ में वोटरों का मूड क्यों बदला?
महुआ में इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प माना जा रहा था-
- JJD के तेज प्रताप यादव
- RJD के मजबूत उम्मीदवार और मौजूदा विधायक मुकेश रौशन
- LJP (राम विलास) के लोकप्रिय चेहरा संजय कुमार सिंह
- AIMIM के अमित कुमार
- ये चारों उम्मीदवार यहां समीकरण बदलने की क्षमता रखते थे। लेकिन चुनाव के दिन के बाद से माहौल लगातार LJP(R) के पक्ष में जाता दिखा।
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महुआ में ‘भाई बनाम पार्टी’ का मुकाबला
इस सीट को ‘भाई बनाम पार्टी’ की सीट भी कहा जा रहा है, क्योंकि तेज प्रताप ने अपनी ही पार्टी RJD छोड़कर अपनी राह अलग कर ली है। महुआ के मतदाताओं में यह सवाल लगातार उठ रहा था कि क्या तेज प्रताप अपने पुराने गढ़ में वापसी कर पाएंगे? रुझानों ने साफ कर दिया है कि मुकाबला तेज प्रताप के लिए पहले से कहीं ज्यादा कठिन हो गया है।

