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Rudraprayag News: दो सप्ताह से लगातार हो रही बारिश हुई बंद, लोगों ने ली राहत की सांस

रुद्रप्रयाग में लगातार दो सप्ताह से भीषण बारिश ने जनजीवन अस्तव्यस्त कर रखा है। जगह-जगह सड़कें टूटी और राजमार्ग बंद हैं। जिससे लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
Post Published By: Jay Chauhan
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Rudraprayag News: दो सप्ताह से लगातार हो रही बारिश हुई बंद, लोगों ने ली राहत की सांस

Rudraprayag: जनपद में दो सप्ताह से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश रुक गई है जिससे जनपदवासियों ने राहत की सांस ली है। मूसलाधार बारिश से जगह-जगह सड़कें, राजमार्ग और रास्ते जाम हैं। जनजीवन अस्तव्यस्त है।

एक सप्ताह से बंद रूद्रप्रयाग गौरीकुण्ड राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही शुरु हो गई है।

बारिश बंद होने के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग, सड़कों और पैदल रास्तों को खोलने का कार्य युद्धस्थर पर शुरू हो गया है। बारिश बंद होने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है।

रूद्रप्रयाग गौरीकुण्ड राजमार्ग खुला

 

एक सप्ताह से रास्ता बंद

सोनप्रयाग मुनकटिया में पिछले एक सप्ताह से रास्ता बंद पड़ा हुआ था और इसी स्थान पर पहाड़ी से बोल्डर गिरने के कारण उत्तरकाशी के दो लोगों की मौत हो गयी थी। दो लोग गम्भीर घायल थे। दोनों को हायर सैन्टर रैफर किया गया।

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जानकारी के अनुसार मुनकटिया में सड़क मार्ग को खोलने का प्रयास किया जा रहा है।

सड़कों से मलबा हटाने का कार्य जारी

विभाग ने कहा कि जब तक बारिश बंद है। तब तक  मार्ग खोलने का कार्य तीव्र गति से चल रहा है। मार्ग को जल्द ही खोल दिया जाएगा। इससे केदारनाथ आने-जाने वाले लोगों को राहत मिलेगी।

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बता दें कि मुनकटिया में पैदल आने जाने के लिए रास्ता भी नहीं बचा हुआ है। मशीनों से भी बडी मुश्किल से मार्ग खोलने का प्रयास कर रहा हैं क्योंकि कब पहाड दरक जाये कुछ नहीं कह सकते। यहां तक घोडे खच्चर भी इस स्थान पर फंसे हुए हैं।एसडीआरएफ की टीम द्वारा घोड़ों-खच्चरों का रेस्क्यू किया गया।

दूसरी घटना

बारिश के चलते सोनप्रयाग और गौरीकुण्ड के बीच मुनकटिया क्षेत्रान्तर्गत मलबा पत्थर आने से मार्ग बाधित चल रहा है। इस क्षेत्र में गौरीकुण्ड की तरफ वाले छोर पर भूस्खलन क्षेत्र को पार करने के प्रयास में दो खच्चर इस क्षेत्र से नीचे की ओर चले गये थे। ऊपर पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण इन खच्चरों को खतरा उत्पन्न हो सकता था। सूचना पर एसडीआरएफ की टीम ने खच्चरों को रेस्क्यू कराकर सुरक्षित स्थान गौरीकुण्ड की तरफ भिजवाया गया।

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