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काशीपुर स्कूल गोलीकांड पर गरजे हरीश दूबे, बोले- शिक्षा की जगह क्राइम सिखा रहे हैं स्कूल!

काशीपुर स्कूल गोलीकांड पर सितारगंज के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष हरीश दूबे ने गहरी चिंता जताई। उन्होंने स्कूल प्रबंधन को दोषी ठहराते हुए घटना की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
Post Published By: Tanya Chand
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काशीपुर स्कूल गोलीकांड पर गरजे हरीश दूबे, बोले- शिक्षा की जगह क्राइम सिखा रहे हैं स्कूल!

Kashipur: उत्तराखंड के काशीपुर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में हुए गोलीकांड ने पूरे उत्तराखंड को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना ने जहां शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, वहीं सुरक्षा के लिहाज से स्कूलों की तैयारियों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। इसी कड़ी में सोमवार को लालकुआं पहुंचे सितारगंज नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष हरीश दूबे ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर गहरा दुःख व्यक्त किया और स्कूल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए उच्च स्तरीय जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की।

शिक्षा की जगह स्कूलों में अपराध पनप रहा है

हरीश दूबे ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “काशीपुर की इस घटना ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। यह सिर्फ एक गोलीकांड नहीं, बल्कि हमारे शिक्षा तंत्र पर हमला है। यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या आज के स्कूल बच्चों को नैतिक शिक्षा दे रहे हैं या अपराध के रास्ते पर ढकेल रहे हैं।”

उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि जब कोई छात्र अपने ही शिक्षक पर हमला कर दे, तो यह दर्शाता है कि शिक्षा व्यवस्था में कहीं न कहीं गहरी खामी है। स्कूल एक ऐसी जगह होनी चाहिए जहाँ बच्चे केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि संस्कार और व्यवहारिकता भी सीखें।

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स्कूल प्रबंधन की भूमिका संदिग्ध

पूर्व पालिका अध्यक्ष दूबे ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में स्कूल प्रबंधन की भूमिका शक के घेरे में है। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि स्कूल प्रबंधन ने समय रहते उचित निगरानी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की होती, तो शायद यह घटना रोकी जा सकती थी।

उन्होंने कहा कि, “ऐसा लगता है कि स्कूल में पढ़ाई पर नहीं, बल्कि बच्चों को अपराध की तरफ बढ़ाने वाले माहौल को बढ़ावा दिया जा रहा था। अगर एक छात्र हथियार लेकर स्कूल में घुसता है, तो यह सवाल खड़ा करता है कि निगरानी कहाँ थी?”

उच्च स्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग

हरीश दूबे ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक स्कूल प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी।

“यह कोई मामूली घटना नहीं है। बच्चों की सुरक्षा के साथ किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जा सकता। मैं सरकार से आग्रह करता हूँ कि इस मामले में शामिल सभी जिम्मेदारों को सख्त सजा दी जाए,” दूबे ने कहा।

अभिभावकों की भूमिका पर भी सवाल

उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना के बाद अभिभावकों को भी आत्ममंथन करने की जरूरत है। “बच्चों को स्कूल भेजने का मतलब केवल पढ़ाई नहीं है, बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार देना भी उतना ही जरूरी है। जब बच्चा गलत दिशा में जा रहा हो, तो उसका पहला संकेत घर से ही आता है।”

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प्रदेश में शिक्षा और सुरक्षा दोनों पर संकट

काशीपुर की यह घटना केवल एक isolated case नहीं है। दूबे ने कहा कि अगर समय रहते शिक्षा संस्थानों की सुरक्षा प्रणाली और निगरानी तंत्र को मजबूत नहीं किया गया, तो आने वाले समय में प्रदेश में शिक्षा का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

हरीश दूबे का यह बयान न केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया है, बल्कि यह पूरे शिक्षा तंत्र और समाज के लिए एक चेतावनी भी है। अगर स्कूलों में शिक्षा की जगह हिंसा पनपने लगे, तो आने वाली पीढ़ियों के चरित्र निर्माण पर संकट खड़ा हो सकता है।

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