Dehradun: डाक विभाग से पार्सल भेजने वाले लाखों ग्राहकों के लिए यह खबर मायूसी लेकर आई है। एक अक्टूबर से रजिस्ट्री के माध्यम से पार्सल भेजने की सुविधा समाप्त की जा रही है। अब ग्राहकों को पार्सल भेजने के लिए केवल स्पीड पोस्ट का ही विकल्प उपलब्ध रहेगा। इस नई व्यवस्था से जहां विभागीय कर्मचारियों को कुछ हद तक सहूलियत मिलेगी, वहीं आम ग्राहकों की जेब पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
अब सस्ती रजिस्ट्री नहीं, केवल स्पीड पोस्ट का विकल्प
अब तक ग्राहक 20 ग्राम तक का पार्सल रजिस्ट्री के माध्यम से केवल 22 रुपये में भेज सकते थे। लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के बाद यही पार्सल स्पीड पोस्ट से भेजने पर कम से कम 41 रुपये खर्च करने होंगे, वह भी दूरी के अनुसार। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी व्यक्ति को दिल्ली पार्सल भेजना है तो उसे 41 रुपये देने होंगे, जबकि दक्षिण भारत जैसे दूरस्थ राज्यों में यह खर्च और बढ़ जाता है।
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प्रशासनिक बदलाव का असर ग्राहकों पर
डाक विभाग के प्रशासनिक कार्यों में बदलाव के बाद यह निर्णय लिया गया है। निदेशक डाक एवं सेवाएं अनुसूया प्रसाद चमोला ने स्पष्ट किया कि विभाग की नई नीति के तहत रजिस्ट्री सेवा से पार्सल भेजना संभव नहीं होगा। उन्होंने बताया कि रजिस्ट्री से पार्सल भेजना भले ही सस्ता होता है, लेकिन स्पीड पोस्ट में पार्सल ट्रैकिंग, डिलीवरी गारंटी और दूरी के अनुसार शुल्क की व्यवस्था है।
ग्राहकों को क्यों है आपत्ति?
रजिस्ट्री सेवा विशेषकर उन ग्राहकों के लिए किफायती थी जो कम वजन के दस्तावेज या छोटे पार्सल देश के किसी भी कोने में भेजते थे। पार्सल डिलीवरी की जिम्मेदारी डाक कर्मी की होती थी और कम कीमत में भी सेवा भरोसेमंद थी। ग्राहकों का कहना है कि स्पीड पोस्ट की सुविधा भले ही तेज़ हो, लेकिन छोटे पार्सलों के लिए अनावश्यक रूप से महंगी है। ऐसे में कम आय वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहक विशेष रूप से प्रभावित होंगे।
विभागीय कर्मचारियों को मिल सकता है लाभ
हालांकि विभाग के कर्मचारियों को इस बदलाव से थोड़ी राहत मिल सकती है। रजिस्ट्री पार्सलों में देरी, जिम्मेदारी और लॉजिस्टिक दबाव अधिक होता था। अब स्पीड पोस्ट की व्यवस्था में ट्रैकिंग और डिलीवरी सिस्टम अधिक स्वचालित और पारदर्शी हो जाएगा।

