Nainital: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने केंद्र सरकार के यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) से आधार की अनिवार्यता खत्म करने के फैसले पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने इसे उत्तराखंड के स्थानीय हितों और सांस्कृतिक संरचना के खिलाफ करार दिया। रावत ने कहा कि यह कदम राज्य की नागरिकता प्रणाली को कमजोर कर सकता है और बाहरी लोगों को राज्य में नागरिकता का दावा करने का अवसर दे सकता है।
UCC और आधार की बाध्यता का निर्णय
हरीश रावत ने कहा कि जब UCC लागू किया गया था, तो आधार की बाध्यता को एक नियंत्रण व्यवस्था के रूप में रखा गया था ताकि बाहरी व्यक्तियों की पहचान सुनिश्चित की जा सके। अब जब सरकार ने इसे हटा दिया है, तो इससे उत्तराखंड की नागरिकता प्रणाली में गड़बड़ी हो सकती है, क्योंकि कोई भी बाहरी व्यक्ति UCC के तहत पंजीकरण कराकर राज्य की नागरिकता का दावा कर सकता है। रावत ने इसे राज्य के लिए एक खतरनाक कदम बताया और कहा कि यह राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना पर असर डाल सकता है।
लिव-इन रिलेशनशिप और सामाजिक मूल्यों पर चिंता
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिव-इन रिलेशनशिप में पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल करने के सरकार के कदम को भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किए गए बदलावों ने राज्य के सामाजिक अनुशासन और नैतिक संतुलन को कमजोर कर दिया है। रावत ने यह भी कहा कि जब UCC लागू हुआ था, तो इसका उद्देश्य राज्य में पारदर्शिता और सामाजिक अनुशासन को बढ़ाना था, लेकिन अब इन बदलावों से यह उद्देश्य कमजोर पड़ता नजर आ रहा है।
चुनाव आयोग और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सवाल
बिहार में आरजेडी नेता सुनील सिंह द्वारा चुनाव आयोग को चेतावनी देने के बयान पर हरीश रावत ने प्रतिक्रिया दी। रावत ने कहा कि यह संकेत देता है कि जनता में गहरा अविश्वास और संदेह पैदा हो चुका है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जब जनता का विश्वास कमजोर होता है, तो यह खतरनाक स्थिति उत्पन्न करता है। रावत ने सरकार और चुनाव आयोग से यह अपील की कि वे पारदर्शिता बनाए रखें ताकि लोकतांत्रिक संस्थाओं पर से जनता का विश्वास बना रहे।
राजनीतिक सक्रियता पर रावत का बयान
जब हरीश रावत से पूछा गया कि क्या कांग्रेस में उन्हें कोई नई जिम्मेदारी न मिलने का मतलब यह है कि वे अब राजनीति से संन्यास लेने वाले हैं, तो उन्होंने इसे मजाकिया अंदाज में खारिज किया। रावत ने कहा कि उन्होंने अभी भगवा कपड़ा नहीं देखा है, लेकिन अगर पार्टी चाहे तो वह इसे सिलवा लेंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति का मतलब केवल पद पाना नहीं है, बल्कि यह सेवा और संघर्ष का रास्ता है। वह अभी भी सक्रिय रूप से जनता के मुद्दों को उठाने के लिए समर्पित हैं और नई पीढ़ी को मार्गदर्शन देने के लिए तत्पर हैं।

