राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के अवसर पर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वनकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में 35 से अधिक शहीद वनकर्मियों का सम्मान किया गया, साथ ही अमृता देवी बिश्नोई के बलिदान को भी याद किया गया।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में राष्ट्रीय वन शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि समारोह
Ramnagar: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व सहित देशभर में 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कॉर्बेट प्रशासन द्वारा धनगढ़ी इंटरप्रिटेशन सेंटर में विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें 1982 से लेकर 2025 तक के दौरान शहीद हुए 35 से अधिक वनकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत वन स्मारक स्थल पर पुष्प अर्पण और दो मिनट के मौन के साथ की गई। इस स्मारक पर उन सभी वनरक्षकों के नाम खुदे हैं जिन्होंने शिकारियों, तस्करों और जंगली जानवरों के हमलों में अपनी जान गंवाई। पार्क के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने कहा कि जंगल केवल पेड़ और जीव-जंतुओं से नहीं, बल्कि उन वनकर्मियों के अदम्य साहस और त्याग से जीवित हैं जिन्होंने हर चुनौती का सामना कर जंगल की रक्षा की।
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इस अवसर पर 1730 में हुए खेजड़ली नरसंहार और अमृता देवी बिश्नोई के बलिदान को भी याद किया गया। राजस्थान में खेजड़ी पेड़ों की रक्षा के लिए 363 लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। इसी प्रेरणादायक घटना के आधार पर वर्ष 2013 में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस घोषित किया।
डॉ. बडोला ने बताया कि वनकर्मियों का जीवन अत्यंत कठिन होता है। उन्हें प्रतिदिन जंगली जानवरों, अवैध तस्करों और कठोर प्राकृतिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद उनके बलिदान को समाज और शासन से वह मान-सम्मान नहीं मिलता जिसके वे हकदार हैं।
उन्होंने कहा कि यह दिन केवल स्मरण का नहीं, बल्कि संकल्प का दिन भी है कि समाज और शासन मिलकर वन्यजीव संरक्षण में अपनी भूमिका निभाएं।
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कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधि, पर्यावरण कार्यकर्ता, ग्रामीण और वन विभाग के अधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान शहीद वनकर्मियों के परिजनों को सम्मानित भी किया गया और उन्हें आश्वासन दिया गया कि समाज उनके योगदान को कभी नहीं भूलेगा। राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का उद्देश्य केवल श्रद्धांजलि अर्पित करना नहीं, बल्कि यह संदेश देना भी है कि पर्यावरण की रक्षा केवल सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।