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हरसिल पर मंडरा रहा नया खतरा! सैन्य कैंप और हेलीपैड तबाह; क्या फिर कुछ होने वाला है बड़ा हादसा?

उत्तरकाशी क्षेत्र में हुई विनाशक बादल फट (क्लाउडबर्स्ट) से हुए भयंकर हालात अभी भी कई सवाल छोड़ गए हैं। खीरगंगा के मुहाने पर मलबे का संचय सिर्फ तबाही नहीं फैला रहा, बल्कि वह तेलगाड़ संगम पर भी एक नया ट्रैप तैयार कर रहा है, जहां मलबा जमा होकर भविष्य में एक खतरनाक झील का रूप धारण कर सकता है।
Post Published By: Poonam Rajput
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हरसिल पर मंडरा रहा नया खतरा! सैन्य कैंप और हेलीपैड तबाह; क्या फिर कुछ होने वाला है बड़ा हादसा?

Dharali: उत्तरकाशी क्षेत्र में हुई विनाशक बादल फट (क्लाउडबर्स्ट) से हुए भयंकर हालात अभी भी कई सवाल छोड़ गए हैं। खीरगंगा के मुहाने पर मलबे का संचय सिर्फ तबाही नहीं फैला रहा, बल्कि वह तेलगाड़ संगम पर भी एक नया ट्रैप तैयार कर रहा है, जहां मलबा जमा होकर भविष्य में एक खतरनाक झील का रूप धारण कर सकता है।

क्या हो रहा है खतरा?

तेलगाड़ का मुहाना, जहां खीरगंगा मिलकर भागीरथी में घहराता है, आज मलबे से भरा पड़ा है। अगर वॉटर-डेमांड और मलबे का संतुलन बिगड़ा, तो यह क्षेत्र झील जैसा स्वरूप धारण कर सकता है, जिससे अचानक बाढ़, ढहना या जलजनित दुर्घटना का खतरा पैदा हो जाएगा।

खीरगंगा का पिछला इतिहास, भी भयावह है। अप्रैल में हुई बादल फटने की घटना में धराली गांव क्षतिग्रस्त हुआ और पानी-मलबे का अपार भार पड़ा। स्थानीय भूवैज्ञानिक प्रो. सुंद्रियाल के अनुसार, लंबे समय से हो रहा मलबा संचय और कटाव प्रक्रिया इस क्षेत्र को सतत जोखिमपूर्ण जोन बनाती आई है।

मौसम संकट और जलवायु परिवर्तन की भयंकर भूमिका: IMD ने लगातार भारी वर्षा की चेतावनी जारी की, जिससे आपदा की पुनरावृत्ति संभव हो रही है। पहाड़ी भू‑भाग में पिघलते ग्लेशियर और भारी बारिश, दोनों मिलकर खतरों को बढ़ा रहे हैं।

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क्या होना चाहिए आने वाला कदम?

मलबे को हटाने और जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए कार्य शुरू होना चाहिए। टोचें, सैटेलाइट और ड्रोन से नियमित जानकारी मिलनी चाहिए। सरकार, प्रशासन और वैज्ञानिकों को मिलकर रणनीति बनानी चाहिए।

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उत्तरकाशी में खीरगंगा की तबाही से मिली सीख अब तेलगाड़ पर काम आने का वक्त है। नहीं तो, अरक्षित मलबा और पानी का संगम **एक बार फिर त्रासदी का रूप ले सकता है — इस बार, भविष्यका डर भी वही पुरानी कहानी दोहरा सकता है।

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