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UP Panchayat Election 2026: यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज , बढ़ी बीजेपी की मुश्किल? जानिए पूरा अपडेट

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से पहले ही सुगबुगाहट तेज हो गई है।  इसी कड़ी में पंचायत चुनाव से पहले एनडीए परिवार में दरार पड़ गई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Poonam Rajput
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UP Panchayat Election 2026: यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज , बढ़ी बीजेपी की मुश्किल? जानिए पूरा अपडेट

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से पहले ही सुगबुगाहट तेज हो गई है।  इसी कड़ी में पंचायत चुनाव से पहले एनडीए परिवार में दरार पड़ गई है। केंद्रीय मंत्री और अपना दल एस प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी पंचायत चुनाव अकेले लड़ेगी, उनकी गठबंधन को लेकर कोई बात नहीं हुई है। ऐसे में पार्टी के जो कार्यकर्ता चुनाव लड़ना चाहते हैं उन्हें पंचायत चुनाव में मौका दिया जाएगा और उनकी पार्टी 2026 में भाजपा के खिलाफ पूरी ताकत के साथ उतरेगी। यह तब है जब अपना दल एस भाजपा के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक रहा है।

यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,  दूसरी ओर ओम प्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी इसी राह पर हैं। इन दोनों दलों ने भी साफ कर दिया है कि वे पंचायत चुनाव अकेले लड़ेंगे।

सहयोगी दल बढ़ा रहे हैं बीजेपी की मुश्किलें

रविवार को संजय निषाद ने पार्टी कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश दिया कि हर बूथ पर निषाद पार्टी का झंडा फहराना है। एनडीए के सहयोगी दलों के इस फैसले को 2027 के चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, पंचायत चुनाव में इन दलों का प्रदर्शन विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ राजनीतिक सौदेबाजी में उनकी भूमिका तय करेगा। अगर ये दल अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो वे ज्यादा सीटों पर दावा ठोक सकते हैं।

सहयोगी दलों की बेरुखी 

सहयोगी दलों की यह बेरुखी बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकती है क्योंकि इन दलों की मदद से बीजेपी ने यूपी में ऐसा जातीय समीकरण बनाया है जो पार्टी की जीत का फॉर्मूला बन गया है, लेकिन अगर ये सभी दल अलग होते तो इससे वोटों का बिखराव होता और जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ कमजोर हो सकती थी।

बीजेपी के सामने अब अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की चुनौती होगी ताकि वह दिखा सके कि सहयोगियों के बिना भी उसकी पकड़ कमजोर नहीं हुई है। यदि क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन कमजोर रहा तो उन्हें भाजपा के सामने झुकने पर मजबूर होना पड़ेगा।

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