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रंगमंच के कलाकार आलोक रस्तोगी का निधन, साहित्यकारों में शोक की लहर

रंगमंच और नौटंकी के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले को लेकर आलोक रस्तोगी का 76 वर्ष की अवस्था में गुरुवार सुबह दारागंज स्थित आवास पर निधन हो चुका है। करीब 6.30 बजे उनकी हृदय की धड़कन रुक गई। पढ़ें पूरी खबर
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रंगमंच के कलाकार आलोक रस्तोगी का निधन, साहित्यकारों में शोक की लहर

Prayagraj News: रंगमंच और नौटंकी के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले को लेकर आलोक रस्तोगी का 76 वर्ष की अवस्था में गुरुवार सुबह दारागंज स्थित आवास पर निधन हो चुका है। करीब 6.30 बजे उनकी हृदय की धड़कन रुक गई।

साहित्यकारों में शोक की लहर

आलोक रस्तोगी विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के संस्थापक के तौर पर भी कार्यरत थे। रस्तोगी स्मृति संस्थान के अध्यक्ष अभिलाष नारायण ने जानकारी देते हुए बता दिया है कि अंतिम संस्कार शुक्रवार को दारागंज घाट पर किया जाना है। उनके निधन से प्रयागराज के रंगकर्मियों, साहित्यकारों में शोक की लहर पूरी तरह से दौड़ी जा चुकी है।

बचपन से उन्होंने कहानियां और कविताएं लिखना शुरू

छह जून 1949 को प्रयागराज की बात करें तो जन्मे आलोक रस्तोगी, प्रसिद्ध नाटककार विनोद रस्तोगी के पुत्र हुआ कर रहे थे। साहित्यिक वातावरण में पले-बढ़े आलोक रस्तोगी की बात करें तो रंगमंच की बारीकियां अपने पिता के साथ ही सीखी जा चुकी हैं। बचपन से उन्होंने कहानियां और कविताएं लिखना शुरू किया गया है, जो विभिन्न अखबारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।

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नाटकों और नौटंकियों का निर्देशन..

रंगमंच के क्षेत्र में उनका योगदान लगभग पांच दशकों में काफी अहम माना जा रहा है। वर्ष 2003 में विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान की स्थापना भी की जा चुकी है। पिछले 22 वर्षों में उन्होंने कई प्रसिद्ध निर्देशकों के साथ सक्रिय तौर पर काम का अनुभव प्राप्त किया है, नाटकों और नौटंकियों का निर्देशन किया, जिनका मंचन देशभर में किया जा चुका है और दूरदर्शन पर भी सजीव प्रसारण किया गया। 100 से अधिक नाटकों में उनको अनुभव प्राप्त है।

दर्शक वर्ग तक पहुंचाने को लेकर कई तरह का इस्तेमाल

आलोक रस्तोगी की कला-यात्रा प्रयागराज से निकलने के बाद देखा जाए तो उदयपुर, जोधपुर, शिमला, पटना, लखनऊ कोलकाता, दिल्ली, भोपाल, मुंबई, चंडीगढ़, जयपुर, और देश के कई अन्य शहरों में पहुंची जा चुकी है। आलोक ने नौटंकी को पुनर्जीवित करने और इसे नए दर्शक वर्ग तक पहुंचाने को लेकर कई तरह का इस्तेमाल किया है।

वर्ष 2018 से 2020 तक वे भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ (उत्तर प्रदेश सरकार) की परामर्श समिति के सदस्य के तौर पर भी काम कर चुके हैं। उनके मार्गदर्शन में विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान ने पारंपरिक और आधुनिक, दोनों तरह की नौटंकियों का शानदार मंचन को प्रस्तुत किया था और इस लोकनाट्य विधा को जीवंत बनाए रखने को लेकर अहम भूमिका निभा चुके हैं।

 

 

 

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