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Sonbhadra News: आवारा पशुओं से त्रस्त आदिवासी और दलित किसान, ओबरा प्रशासन से समाधान की मांग

सोनभद्र के ओबरा क्षेत्र में आदिवासी, दलित और अन्य समुदायों के किसान आवारा पशुओं की समस्या से जूझ रहे हैं। रात के समय ये पशु खेतों में घुसकर फसलें चर जाते हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसान प्रशासन से बार-बार निवेदन कर रहे हैं कि इस समस्या का कानूनी और स्थायी समाधान निकाला जाए। स्थानीय गौशाला में सिर्फ बाहरी पशुओं को रखा जाता है, जिससे गांव के मवेशी अब भी खुले घूम रहे हैं। बारिश के कारण खेती पहले से ही प्रभावित है, ऊपर से आवारा पशुओं ने किसानों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है।
Post Published By: सौम्या सिंह
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Sonbhadra News: आवारा पशुओं से त्रस्त आदिवासी और दलित किसान, ओबरा प्रशासन से समाधान की मांग

Sonbhadra: ओबरा तहसील के आदिवासी, दलित और अन्य समुदायों के किसान इन दिनों आवारा पशुओं की समस्या से बेहद परेशान हैं। खेतों में दिन-रात घूम रहे यह मवेशी उनकी मेहनत की कमाई को नष्ट कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने हर संभव प्रयास किया, लेकिन इन जानवरों को रोक पाना मुश्किल हो गया है।

आदिवासी किसानों की मेहनत पर पानी फिरा

स्थानीय किसान अमरनाथ उजाला, जो स्वयं आदिवासी समुदाय से आते हैं, ने बताया कि वे पीढ़ियों से खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बीते चार-पांच वर्षों से ओबरा नगर और आसपास के इलाकों से छोड़े गए आवारा पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। वर्तमान में लगभग 40 से 50 जानवर खेतों में खुलेआम घूमते रहते हैं। ये जानवर अरहर, मकई, उरद, तिल्ली, बेतरी और धान जैसी मुख्य फसलों को नुकसान पहुँचा रहे हैं।

ओबरा प्रशासन से समाधान की मांग करते किसान

किसानों ने बताया कि वे दिन में खेतों की निगरानी करते हैं, लेकिन रात में जब नींद लग जाती है, तो आवारा पशु आकर फसलों को चर जाते हैं। इससे उनकी सालभर की मेहनत बर्बाद हो जाती है। इस समस्या को लेकर किसानों ने ओबरा तहसील के एसडीएम, थाना प्रभारी और जिलाधिकारी से गुहार लगाई है कि कोई कानूनी व्यवस्था बनाकर इस संकट का स्थायी समाधान निकाला जाए।

रात में फसलों को चर रहे आवारा पशु

खास बात यह है कि खैरटिया गांव के बिल्ली मारकुंडी टोला में एक गौशाला है, जहां नगर और बाहरी क्षेत्रों के पशुओं को छोड़ा जाता है। लेकिन गांव के ही पशुओं को वहां नहीं रखा जाता, जिससे समस्या जस की तस बनी हुई है।

बरसात के चलते खेतों में जुताई और बुवाई का कार्य पहले से ही प्रभावित है, ऊपर से आवारा पशुओं ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है। किसान अब दोहरी मार झेल रहे हैं- एक तरफ मौसम की मार, दूसरी ओर आवारा पशुओं का आतंक।

फसलें बचाने और आवारा पशुओं से राहत दिलाने की मांग

किसानों का कहना है कि वे अपने खेतों को बचाने के लिए रातभर जागते हैं, लेकिन यह भी समाधान नहीं है। कई बार खेतों में तार लगाने और घेराबंदी करने की कोशिश की गई, लेकिन वह भी कारगर नहीं हो पाई।

किसानों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। इस समस्या से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है, बल्कि सामाजिक रूप से भी उनका जीवन संकट में है।

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