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Sonbhadra News: अखंड सौभाग्य की कामना के साथ सुहागिनों ने रखा निर्जला व्रत, की पूजा-अर्चना

यूपी के सोनभद्र जिले में वट सावित्री व्रत पर मंदिरों में सुहागिनों की भीड़ उमड़ पड़ी। पढे़ं डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खबर
Post Published By: सौम्या सिंह
Published:
Sonbhadra News: अखंड सौभाग्य की कामना के साथ सुहागिनों ने रखा निर्जला व्रत, की पूजा-अर्चना

सोनभद्र: जिले में आज वट सावित्री व्रत के पावन अवसर पर मंदिरों में श्रद्धालु महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। खासकर चोपन स्थित जय माँ काली मंदिर में वट वृक्ष के पास सुबह से ही व्रतधारी महिलाओं की उपस्थिति देखी गई। सुहागिनों ने इस मौके पर विधि-विधान से वट वृक्ष की पूजा की, परिक्रमा की और व्रत कथा सुनी। व्रत को लेकर महिलाओं में विशेष उत्साह और आस्था का वातावरण देखा गया।

हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की मंगलकामना के लिए व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं। चोपन के जय माँ काली मंदिर परिसर में सुबह से ही महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर पहुंचीं और पूजा की तैयारियों में जुट गईं। महिलाओं ने वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा कर उसे कच्चे धागे से बांधा और विशेष मंत्रों के साथ पूजा-अर्चना की।

पौराणिक कथा से जुड़ी है वट सावित्री व्रत

मंदिर के पुजारी ने बताया कि वट सावित्री व्रत की शुरुआत पौराणिक कथा से जुड़ी है। कहा जाता है कि सबसे पहले यह व्रत राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने अपने मृत पति सत्यवान के जीवन की कामना में किया था। सावित्री की तपस्या और निष्ठा से प्रसन्न होकर यमराज ने सत्यवान को जीवनदान दिया था। तभी से यह व्रत भारतीय संस्कृति में सदा सुहागन रहने का प्रतीक बन गया है।

मंदिर में पूजा-अर्चना करती महिलाएं

मंदिरों में दिखा धार्मिक उत्सव

पुजारी ने यह भी बताया कि व्रत के दौरान महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा कर “वट सावित्री व्रत कथा” का श्रवण करती हैं। कथा के माध्यम से सावित्री और सत्यवान की प्रेम, निष्ठा और बलिदान की गाथा को याद किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो स्त्रियां यह व्रत पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और पति के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

पूजा के पश्चात महिलाओं ने एक-दूसरे को बधाई दी और व्रत की पूर्णता पर पारंपरिक विधि से जल और प्रसाद का वितरण किया। इस अवसर पर मंदिर प्रांगण में भक्ति गीतों और धार्मिक वातावरण से पूरा क्षेत्र भक्तिमय बना रहा।

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