Site icon Hindi Dynamite News

Sant Kabir Nagar: सरकारी दावों की खुली पोल! जान पर खेलकर स्कूल जाने को मजबूर मासूम

संतकबीरनगर के गुलरिया प्राथमिक विद्यालय में बच्चे जान जोखिम में डालकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। सरयू कैनाल के ऊपर बांस और बिजली के पोल से बना खतरनाक रास्ता ही स्कूल जाने का एकमात्र रास्ता है। ऐसे में नीचे भरी नहर हर पल खतरे को दावत दे रही है।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
Published:
Sant Kabir Nagar: सरकारी दावों की खुली पोल! जान पर खेलकर स्कूल जाने को मजबूर मासूम

Sant Kabir Nagar: संतकबीरनगर जिले के खलीलाबाद क्षेत्र में गुलरिया प्राथमिक विद्यालय के बच्चे हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर शिक्षा की राह पर चलते हैं। यह बात न केवल हृदय विदारक है, बल्कि सरकार के उन बड़े-बड़े दावों की पोल भी खोलती है, जो शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के नाम पर किए जाते हैं। मशहूर शायर अदम गोंडवी की पंक्तियां यहां सटीक बैठती हैं- “तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह आंकड़े झूठे हैं और दावा किताबी है।”

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, गुलरिया प्राथमिक विद्यालय तक पहुंचने के लिए बच्चों को सरयू कैनाल के ऊपर से गुजरना पड़ता है। यहां कोई पक्का रास्ता नहीं है। ग्रामीणों ने बांस और बिजली के पुराने पोल को जोड़कर एक अस्थायी और खतरनाक रास्ता बना लिया है। नीचे भरी हुई नहर का तेज बहाव और गहरा पानी हर पल खतरे की घंटी बजाता है। बच्चे और शिक्षक डरते-डरते इस जोखिम भरे रास्ते से रोज़ स्कूल आते-जाते हैं। स्कूल में बच्चों की संख्या अधिक है, लेकिन इस खतरे का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया।

खतरनाक रास्ते को पार करते बच्चे

लाखों की लागत से बना रास्ता हुआ जर्जर

हैरानी की बात यह है कि स्कूल तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक रास्ता बनाया गया था, जिस पर लाखों रुपये खर्च किए गए। लेकिन इस रास्ते की हालत इतनी खराब है कि वहां झाड़ियां और पेड़-पौधों का जंगल उग आया है। साफ-सफाई के अभाव में यह रास्ता अब उपयोग के लायक नहीं रहा। मजबूरी में बच्चे और शिक्षक उस जानलेवा बांस के रास्ते का सहारा लेते हैं। यह स्थिति न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि शिक्षा के प्रति सरकारी लापरवाही को भी स्पष्ट कर रही है।

सालों से जोखिम उठा रहे बच्चे

बता दें कि यह समस्या कोई नई नहीं है। सालों से बच्चे इस जोखिम को उठा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासन खामोश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। शिक्षा को हर बच्चे का अधिकार बताने वाली सरकार क्या इन बच्चों की जान की कीमत पर अपने दावों को सही ठहराएगी? यह सवाल उन जिम्मेदारों से है जो केवल कागजी दावों और झूठे आंकड़ों के सहारे अपनी पीठ थपथपाते हैं।

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक पक्का और सुरक्षित रास्ता बनाना होगा। साथ ही, वैकल्पिक रास्ते की नियमित साफ-सफाई और रखरखाव सुनिश्चित करना होगा। अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो किसी बड़े हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

Exit mobile version