Site icon Hindi Dynamite News

महराजगंज में पुलिस की लापरवाही उजागर; जिंदा किशोरी को मृत बताकर पिता और भाई को भेजा जेल, NHRC ने मुकदमा दर्ज करने का दिया निर्देश

जीवित किशोरी को मृत बता कर उसी के पिता और भाई को जेल भेजने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। पूरी खबर के लिए पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़
Post Published By: Tanya Chand
Published:
महराजगंज में पुलिस की लापरवाही उजागर; जिंदा किशोरी को मृत बताकर पिता और भाई को भेजा जेल, NHRC ने मुकदमा दर्ज करने का दिया निर्देश

महराजगंज: घुघली थाना क्षेत्र से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसे उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यह मामला वर्ष 2023 का है, जब एक किशोरी के लापता होने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया और हत्या के झूठे आरोप में उसके पिता और भाई को जेल भेज दिया गया। अब जब उक्त किशोरी बिहार के बगहा में जीवित पाई गई, तो पूरे प्रकरण की सच्चाई सामने आई और पुलिस की लापरवाही उजागर हो गई।

ये है पूरा मामला
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार मामले की शुरुआत तब हुई जब घुघली क्षेत्र की किशोरी काम पर गई लेकिन वापस नहीं लौटी। उसके पिता संजय ने गांव के तीन लोगों के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई। इस बीच निचलौल क्षेत्र की नहर में एक अज्ञात युवती का शव मिला, जिसे पुलिस ने बिना डीएनए परीक्षण के संजय की बेटी प्रीति मान लिया। हत्या का आरोप लगाते हुए पुलिस ने संजय और उनके बेटे अम्बरीश उर्फ सूरज को जेल भेज दिया। लेकिन कुछ समय बाद वही कथित मृत लड़की बिहार के बगहा में जीवित पाई गई।

पिता ने लिया मानव अधिकार आयोग का रुख
इस घटना से मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित हुए पीड़ित संजय ने जब उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग का रुख किया, तो आयोग ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया और जांच कर गंभीर लापरवाही उजागर की। आयोग ने तत्कालीन थानाध्यक्ष नीरज राय और विवेचक वरिष्ठ उप निरीक्षक भगवान बक्श सिंह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।

आयोग ने की कार्रवाई की संस्तुति
इसके साथ ही, पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक डॉ. आदीदेव पर भी डीएनए नमूना संरक्षित न करने की लापरवाही पाई गई, जिसके लिए आयोग ने उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की है। वहीं, तत्कालीन सीओ सदर अजय सिंह चौहान को भी अपने दायित्वों के निर्वहन में लापरवाह मानते हुए शासन को उनके विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।

आयोग ने की पीड़िता को एक-एक लाख रुपए देने की सिफारिश
आयोग ने पीड़ित पिता संजय और उनके पुत्र को एक-एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने की सिफारिश भी की है, साथ ही यह स्पष्ट किया है कि इस धनराशि की वसूली संबंधित लापरवाह अधिकारियों से की जाए। इस घटना ने पुलिस प्रशासन की जांच प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह उदाहरण बन गया है कि किसी की लापरवाही निर्दोष लोगों को कितना बड़ा नुकसान पहुँचा सकती है।

Exit mobile version