जालौन: उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में मनरेगा योजना के तहत मजदूरी करने वाले श्रमिकों के सामने एक बार फिर भुगतान का संकट गहरा गया है। जालौन जिले के माधौगढ़ ब्लॉक की रूपापुर ग्राम पंचायत में करीब दो दर्जन मजदूरों ने 40 दिन तक कड़ी मेहनत की, लेकिन उनकी मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं हुआ।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, भुगतान में देरी के कारण मजदूरों के सामने आर्थिक तंगी की स्थिति पैदा हो गई है। परेशान मजदूरों ने ग्राम प्रधान से लेकर खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) तक गुहार लगाई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। आखिरकार, मजदूरों ने अपनी पीड़ा लेकर जिलाधिकारी कार्यालय का रुख किया और सिटी मजिस्ट्रेट को शिकायती पत्र सौंपकर त्वरित भुगतान की मांग की।
जानिए क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह पूरा मामला रूपापुर ग्राम पंचायत का है, जहां मजदूरों ने गांव में तीन चकबंदी निर्माण कार्य में हिस्सा लिया। इन मजदूरों ने बताया कि उन्होंने लगभग 40 दिन तक मनरेगा के तहत काम किया, लेकिन भुगतान की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई। मजदूरों ने ग्राम प्रधान से संपर्क किया, जिन्होंने बीडीओ पर भुगतान में देरी का ठीकरा फोड़ा। मजदूरों के अनुसार, बीडीओ द्वारा पेमेंट डोंगल नहीं लगाया जा रहा, जबकि आसपास की अन्य ग्राम पंचायतों में मजदूरों का भुगतान हो चुका है। इस भेदभाव से मजदूरों में रोष व्याप्त है।
मनरेगा के तहत क्या है प्रावधान
बता दें कि मनरेगा के तहत जॉब कार्ड धारकों को साल में 100 दिन की मजदूरी का प्रावधान है। मजदूरों का कहना है कि अगर उनका भुगतान जल्द नहीं हुआ तो उनके 35 दिन की मजदूरी कम हो जाएगी, जिससे उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। कई मजदूरों ने बताया कि भुगतान न होने से उनके बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च और अन्य जरूरतें पूरी करना मुश्किल हो गया है। मजदूरों ने जिलाधिकारी से हस्तक्षेप कर भुगतान प्रक्रिया को तुरंत पूरा करने की मांग की है।
कई मजदूर पहुंचे डीएम कार्यालय
वहीं इस मामले को लेकर, सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे मजदूरों में रणजीत सिंह, सुरेश, सुनील, मंगली, इंद्रजीत, अरविंद, ताहर सिंह, राम अवतार, जितेंद्र, मुन्नीलाल, सर्वेश कुमार, लालू राम, अर्जुन सिंह, संतोष कुमार सिंह, कृपाराम, कुंदन सिंह और अन्य शामिल थे।